*हे मेरे मालिक मैं तेरे चरणों का आशिक़ हो गया हूं ।*
*इस संसार के हालातों से तेरे सत्संग का दास हो गया हूं।।*
सुन रहा हूं सत्संग आपकी दया व मेहर से ।
उठा रहा हूं रुहानी लाभ इन बंदिशों में भी।।
अविष्कारों का उपयोग करना तो अब सीख रहा हूं ।
मगर तेरे दर्शन के वियोग में सब बेरंग महसूस किये जा रहा हूं ।।
हे मेरे दाता अब और सहा नही जाता ।
तेरे दर्शन के बिना मेरा मन बार बार बेचैनी से भर जाता ।।
मिल रही है भरपूर दया ई सत्संग शब्द सुनने की ।
मगर पूरी नहीं होती हसरत तुझसे मिलने की ।।
मुझे अपने चरणों में लगा लें दाता ।
मैं तेरा दास हूं मुझे बुला ले दाता ।।
दाता तेरे दर्शन को मैं तरस गया हूं ।
मैं सत्संग रोज सुनकर अपने आप को रोक रहा हूं ।।
दिल करता है कि तेरे दर पे दौड़ आऊं, सब बंधन तोड़कर ।
मगर तेरे आदेशों का पालन कर अपने आप को रोक रहा हूँ ।।
*हे मेरे मालिक मैं तेरे चरणों का आशिक़ हो गया हूं।*
*इस संसार के हालात से तेरे सत्संग का दास हो गया हूं।।*
प्राथना कुल मालिक के चरणों में
(SANT ADHAR BARODA BRANCH)
*दाता जी की दया है*
दाता जी की दया है
कि हम सब बेख़ौफ़ जुड़े हैं
सत्संग सुनने को मिल रहा है
और घर बैठे दर्शन भी मिल रहा है।
बस दाता जी की दया है
खेतों की सेवा का यह नया रूहानी आलम है।
दया मेहर की पर्चे और सुपरमैन नस्ल की मिसाल है।
निर्मल अमृत दूध का प्रसाद दया की दया धार है।।
चाय , टोस्ट, फ्लेवर्ड मिल्क, और मक्खन, सूरत की अपनी ही खुराक है।
बस दाता जी की दया है
दयालबाग की जीवन शैली, दुनिया में है बेमिसाल
कर लो फौलो इसको, तुम भी हो जाओ मालामाल।
बन सुपरमैन सत्संग के, सब कुछ हमको करना है
ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र के, सब गुणों को अपने में धारण करना है।
अगर हो दया दाता दयाल की तो उनके चरणों में पूरा जीवन अर्पण कर दूंगा। रहमत के आश्रय राधा स्वामी मिशन में अपनी सारी सांसे कुर्बान कर दूंगा ।
बस रहमत हो उस कुल मालिक की मालिक की, अपनी जान लगा दूंगा।
Writer - SANT ADHAR BARODA BRANCH MGRSA
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