गणेश चतुर्थी (विशेष:)
ग़ज़ल
- डॉ वेद मित्र शुक्ल,
नई दिल्ली
सबसे पहले जिनकी पूजा हम करते, प्यारे गणेश,
जन-गण-मन में गणपति बप्पा हो बसते प्यारे गणेश|
सारे जग में जीवन भर हम कहाँ-कहाँ घूमें, लेकिन -
माँ-बाबू जी मेरी दुनिया हैं कहते प्यारे गणेश|
अच्छे कारज में देरी क्यों, शुरू करें हिलमिल आओ,
बाधाएं यदि आ जायेंगी, हैं हरते प्यारे गणेश|
अन्यायी से लड़ने को जो करे एकजुट जन-जन को,
गणपति उत्सव ऐसा ही जहँ हैं सजते प्यारे गणेश|
लिखना होता सोच-समझकर काल चक्र की जब गति से,
देखो, कथा महाभारत की हैं लिखते प्यारे गणेश|
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