नित नवीन उद्भावना, नये-नये उपमान
नवल व्यंजना का मुझे, माँ दो नव वरदान !
नित नवीन शुभ कल्पना, नित-नित नये प्रतीक
सहज लक्षणा-व्यंजना, माँ दो मुझे सटीक!
नये बिंब,नव कल्पना, नवल भाव-संज्ञान
नवल भंगिमा का रहे,प्रतिपल अनुसंधान!
नवल छंद, गति-लय नयी, नूतन मधुमय भाव
अलंकार-रस पूर्ण हों, हे माँ सब अनुभाव!
संध्या-वंदन-प्रार्थना, कर लो माँ स्वीकार
रिक्त हृदय में काव्य का, दो नूतन अवतार!
वाणी रस-परिपूर्ण हो, शब्द-शब्द संगीत
माँ ऐसा वरदान दो, पूर्ण रहे हर रीत!
नये गीत में भाव का, हो नूतन शृंगार
नव गति, नव लय, स्वर नये, दे दो माँ उपहार!
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