प्रस्तुति-- विजय आनंद त्यागी
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अनुक्रम
कहानी और उपन्यास
उपन्यास का फलक कहानी के फलक की अपेक्षा व्यापर होता है। जीवन का व्यापक चित्र प्रस्तुत करने के कारण उपन्यास की संघटना में भई वैविध्य आ जाता है। उसमें सामान्यतः चरित्रों, स्थितियों, परिपार्श्वों (सेटिंग) की अधिकता होती है। कहानी में कुछ चुने हुए पात्र, स्थितियाँ आदि का समावेश ही संभव है। उपन्यास की अपेक्षा कहानी में संग्रह-त्याग का विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान है। उपन्यास में अनेक उपकथाएँ, घटनाएँ आदि कार्य-कारण संबंधों में समन्वित रहती हैं जबकि कहानी में मूलकथा की एक धारा होती है। कहानी- उपन्यास के काल-गत आयाम में भी अंतर होता है। उदाहरणार्थ प्रेमचंद की कहानी ‘पूस की रात’ और ‘उपन्यास’ गोदान के अन्तर को रखकर उपर्युक्त तत्त्वों का विश्लेषण किया जा सकता है। ‘गोदान’ में किसान जीवन को समग्रतः लिया गया है। अर्थात उसके आर्थिक-पारिवारिक-सामाजिक जीवन के अनेक आयामों को ब्यौरेवार उद्घाटित किया गया है। उसमें शहर की कहानी भी है, गाँव की कहानी भी। गाँव के भीतर गाँव की कहानी भी। परंतु ‘पूस की रात’ में उसके जीवन के आर्थिक पहलू को भी संकेतित किया गया है, उसका ब्यौरा नहीं दिया गया है।कहानी और एकांकी
कहानी और एकांकी के संघटन के सिद्धांत अलग-अलग हैं। कहानी श्रव्य है और एकांकी दृश्य (श्रव्य+ दृश्य) है। एकांकी के लिए मंच अनिवार्य है। दृश्य होने के कारण उसमें क्रिया-व्यापार पर दृष्टि का केन्द्रित होना ज़रूरी है। यों दोनों में जीवन का कोई एक ही पहलू अंकित होता है। पर कहानी का समस्त व्यापार संवादों के माध्यम से अभिव्यक्त होता है। उसमें वर्णन-विवरण और विश्लेषण के लिए कोई स्थान नहीं है। कहानी में नाटकीयता गुण है पर यह उसकी सार्वत्रिक विशेषता नहीं है। कहानी में संवाद का प्रयोग किया जा सकता है और किया जाता है। पर कहानी के संवाद में वह चुस्ती, पैनापन और क्रियात्मकता नहीं देखी जाती। कहानी और रेखाचित्र में कुछ इस तरह का अद्भुत साम्य है कि उन दोनों के बीच विभाजक रेखा खींचने में प्रायः त्रुटियाँ हो जाया करती हैं। कई कहानी संग्रहों में महादेवी वर्मा द्वारा लिखे रेखाचित्र भी संगृहित हैं। यशपाल के कुछ कहानी-संग्रहों में उनके रेखाचित्र भी सम्मिलित कर लिए गए हैं। रेखाचित्र मुख्यतः वर्णनात्मक और कहानी कथात्मक (नेरेटिव) होती है। कहानी की अपेक्षा रेखाचित्र में काल-तत्व (टाइम-एलिमेंट) सीमित होता है।कहानी की आलोचना
सामानयतः कहानी मीमांसा के लिए छः तत्वों का उल्लेख किया जाता है –- कथावस्तु
- चरित्र-चित्रण
- कथोपकथन
- देशकाल
- भाषाशैली और
- उद्देश्य।
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