प्रस्तुति- किशोर प्रियदर्शी,उपेन्द्र कश्यप
दुष्यंत कुमार चित्र:Dushyant Kumar Painting.JPG |
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जन्म: | १९३३ |
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मृत्यु: | १९७५ |
कार्यक्षेत्र: | कावि-रचना |
राष्ट्रीयता: | भारतीय |
भाषा: | हिंदी-उर्दू |
दुष्यंत कुमार उत्तर प्रदेश के बिजनौर के रहने वाले थे। जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायरों ताज भोपाली तथा क़ैफ़ भोपाली का ग़ज़लों की दुनिया पर राज था। हिन्दी में भी उस समय अज्ञेय तथा गजानन माधव मुक्तिबोध की कठिन कविताओं का बोलबाला था। उस समय आम आदमी के लिए नागार्जुन तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे। इस समय सिर्फ़ ४२ वर्ष के जीवन में दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की।
निदा फ़ाज़ली उनके बारे में लिखते हैं
"दुष्यंत की नज़र उनके युग की नई पीढ़ी के ग़ुस्से और नाराज़गी से सजी बनी है। यह ग़ुस्सा और नाराज़गी उस अन्याय और राजनीति के कुकर्मो के ख़िलाफ़ नए तेवरों की आवाज़ थी, जो समाज में मध्यवर्गीय झूठेपन की जगह पिछड़े वर्ग की मेहनत और दया की नुमानंदगी करती है। "
कृतियाँ
इन्होंने 'एक कंठ विषपायी' (काव्य नाटक), 'और मसीहा मर गया' (नाटक), 'सूर्य का स्वागत', 'आवाज़ों के घेरे', 'जलते हुए वन का बसंत', 'छोटे-छोटे सवाल' (उपन्यास), 'आँगन में एक वृक्ष, (उपन्यास), 'दुहरी जिंदगी' (उपन्यास), मन के कोण (लघुकथाएँ), साये में धूप (गजल) और दूसरी गद्य तथा कविता की किताबों का सृजन किया।- प्रमुख कविताएँ
बाहरी कड़ियाँ
- दुष्यंत कुमार को उनके ७५वें जन्मदिन पर याद करते हुए निदा फ़ाज़ली - बीबीसी हिन्दी पर
- दुष्यंत कुमार की कविताएँ तथा ग़जलें - कविता कोश पर
- दुष्यंत कुमार की कविताएँ तथा ग़जलें - अनुभूति पर
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