बुधवार, 20 जनवरी 2016

देखकर अखबार मेरा मन है घबराया हुआ / बिनोद कुमार गौहर

 
 

 
Sangeeta Sinha's photo.
22 hrs ·
हमारे मामा जी दिवंगत बिनोद कुमार गौहर की एक अधूरी रचना को श्री गिरीश पंकज जी ने मेरे अनुरोध पर पूरा किया है। मैं इसके लिए स्री पंकज जी के प्रति हमेशा अनुगृहित रहूंगा।

गिरीश पंकज
दिल्ली के प्रतिभाशाली युवा पत्रकार अनामीशरण बबल के मामा बिनोद कुमार गौहरजी की साहित्य में गहरी रूचि थी. शेरोशाइरी भी करते थे. दो साल पहले अचानक उनका निधन हो गया। उस वक्त उन्होंने एक ग़ज़ल कही जो अधूरी रह गयी. दो शेर ही हो पाए थे, जिसमें मीडिया-अखबार की गिरती हालत का बयान था-
या खुदा ये कौन सा दौर है आया हुआ
देखकर अखबार मेरा मन है घबराया हुआ
हर पेज पे खून दंगा बलात्कार की खबरे
कौन सा है पागलपन छाया हुआ
अनुज अनामीशरण को अचानक उनकी लिखी उक्त लाइने मिल गयी तो उन्होंने मुझसे कहा कि मामाजी की इस ग़ज़ल को आप पूर्ण कीजिये। कार्य चुनौतीपूर्ण था, पर मुझे लगा कोशिश करनी चाहिए, एक प्रयास किया है। देखिये -
या ख़ुदा ये कौन-सा है दौर अब आया हुआ
देख कर अखबार मेरा मन है घबराया हुआ
खून, दंगा और बलात्कारों की ख़बरें हैं यहां
कौन-सा पागलपना है आजकल छाया हुआ
था कभी वह दौर जब अखबार देते थे दिशा
अब स्वयं हैं दिग्भ्रमित बाज़ार भरमाया हुआ
बिक गया ईमान अब बाजार में जाकर कहीं
जुल्म कैसा मीडिया पर वक्त ने ढाया हुआ
अब कहाँ अखबार वे जो सत्य के पथ पर चले
अब दलालों का समय है हमको उलझाया हुआ
भा गए अश्लील विज्ञापन यहाँ हर पृष्ठ पर
किन्तु 'एडिट पेज' पर उपदेश फरमाया हुआ
अब यहाँ पर बेसुरे गायक ही क्यों लायक हुए
हमको आता याद सुर में गीत हर गाया हुआ
देख टीवी चैनलो की चिल्लपो उसने कहा
क्या वहां कुछ पागलों का दल बड़ा आया हुआ
हाय सोशल मीडिया के बाँकुरों को देखिये
जो है कायर वो ही मिलता हमको चिल्लाया हुआ
गिरीश पंकज ये कार्य मुझे अच्छा लगा
Unlike · Reply · 2 · 22 hrs
Sangeeta Sinha
Sangeeta Sinha आदरणीय गिरीश पंकज सर ......आपने पापा की अधूरी रचना को पूर्ण करने का जो कार्य किया है .......इसका शुक्रिया अदा मैं कैसे करूँ ......आपका ये पापा के प्रति दिए गए सम्मान के लिए हम सब आपके आभारी हैं .......
Unlike · Reply · 3 · 18 hrs
गिरीश पंकज
गिरीश पंकज मुझे ऐसे काम एक कर्तव्य की तरह लगते हैं। फिर बबल के प्रति विशेष लगाव भी है। आपअपने पापा के काम से लोगों को परिचित कराएं
Unlike · Reply · 2 · 17 hrs
Sangeeta Sinha
Sangeeta Sinha जी सर .....बहुत -बहुत धन्यवाद आपका _/\_
Unlike · Reply · 2 · 17 hrs · Edited
Anami Sharan Babal

Write a reply...

Anami Sharan Babal

Write a comment...

2 टिप्‍पणियां:

  1. इनके अन्य साहित्य -सृजन को भी सबके सामने लाना चाहिए

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. जरूर सर मैं आपसे दो रचनाकार ममा जो अब नहीं रहे प्रदीप कुमार रौशन और बिनोद कुमार गौहर पर काम करने का आग्रह करूंगा । आपने इतनी रूचि और ललक दिखाया इसके लिए हम सभी कृतज्ञ है. अनामी

      हटाएं

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...