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मेरे
लिए ख़ुशी का विषय है कि मेरा 9वां व्यंग्य संग्रह "निज महिमा के
ढोल-मजीरे" भारतीश्री प्रकाशन, शाहदरा, दिल्ली-110032 से प्रकाशित हो गया
है। इसके प्रकाशन के लिए मैं प्रिय सतीश शर्मा जी का बहुत आभारी हूँ। वे
स्व.अमृता प्रीतम जी की पुस्तकों के अधिकृत प्रकाशक हैं और जो भी पुस्तक
छापते हैं, पूरे मनोयोग से छापते हैं।
मैं प्रिय भाई कुंवर रवीन्द्र जी का भी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। उन्होंने इस पुस्तक के आवरण का सृजन किया है।
232 पृष्ठ की इस पुस्तक में छोटी-बड़ी रचनाएँ मिलाकर 55 व्यंग्य रचनाएँ शामिल हैं। मैंने पब्लिक सेक्टर की नौकरी में रहते हुए दफ़्तरी विसंगतियों पर खुल कर लिखा है और बहुत विरोध झेला है। इस संग्रह में भी ढेर सी रचनाएँ दफ़्तरी जीवन और मुहल्ले की विसंगतियों पर हैं।
मैं प्रिय भाई कुंवर रवीन्द्र जी का भी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। उन्होंने इस पुस्तक के आवरण का सृजन किया है।
232 पृष्ठ की इस पुस्तक में छोटी-बड़ी रचनाएँ मिलाकर 55 व्यंग्य रचनाएँ शामिल हैं। मैंने पब्लिक सेक्टर की नौकरी में रहते हुए दफ़्तरी विसंगतियों पर खुल कर लिखा है और बहुत विरोध झेला है। इस संग्रह में भी ढेर सी रचनाएँ दफ़्तरी जीवन और मुहल्ले की विसंगतियों पर हैं।
Anami Sharan Babal बहुत सुदंर नाम ही बहुत सुदंर लग रहा है मुबारक हो सर और लगातार सृजन के लिए लेखन को सलाम
श्रवणकुमार उर्मलिया हार्दिक आभार अनामी शरण भाई
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श्रवण साहू आपको बधाइयाँ
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