अनंत हो आयुष सा
अपना गगन
जिसमें हो आकांक्षा
(ओ) की ऊंची उडान
लगन रहे मगन रहो दिल
मे अगन रहे
अपनी प्रतिभा के संग
करो न्याय
और उर्जा का हो
सटीक इस्तेमाल
और जमाना है अब विज्ञान का
भावनाओं से
अधिक तकनीक पर हो यकीन
उस पर ही करना
होगा अब भरोसा
तभी सबकुछ होग हासिल
लाख हो जटिल रास्ता
अंतत मिलेगी ही अपनी
मंजिल ।।
अपना राास्ता
अपनी जीत ।।
नूरानी चांद सा चेहरा
सबों
के साथ सबका हो जाना ही खास होता है
मन
की सुदंरता से बढ़कर तेरा चेहरा
अपना राास्ता
अपनी जीत ।।
नूरानी चांद सा चेहरा
नूरानी
चांद सा चेहरा,सबों को भाता है
कोई
मम्मा कोई चंदा तो कोई मामा बुलाता है।
कोमल
शीतल पावन उजास सबों का अपना है
निर्मल
आंखों का एक सपना है
सूरज
सा तेज अगन तपिश नहीं
बादल
सा मनचला बेताब नहीं
हवाएं
मंद मंद सबकी जरूरत
बेताबी
बेकाबू रफ्तार नहीं
कोमल
शीतल पावन प्रकाश से
बचपन भी हो जाए बावला ।।
नूरानी
चांद सा चेहरा ...............
अपना
बन बनाने में मोहक सा उल्लास होता है
लदे
हुए फलदार पेड़ ही सबों को बुलाता है
नूरानी
चांद सा चेहरा ...............
तन
मन की खुश्बू से महकता तेरा चेहरा
चांद
भी देख शरमा जाए तेरा चेहरा
खुद
रौनक है बच्चों सा घर में तेरा चेहरा
नूरानी चांद सा चेहरा ...............
नहीं कोई दीवानापन न कोई पागलपन
केवल मुखमंडल का है सोंधा सुहानापन
आंख से आंखे मिली तो केवल अपनापन
मनमोहक नयनों का एक मृदृल बंधन नूरानी चांद सा चेहरा ..............
तुम परी हो इस घर की
तुम परी हो इस घर की तुम गीत, गजल, कविता - शायरी हो
मीठे गानों की बोल धुन संगीत
रसभरी प्रेम की डायरी हो
तुम इस घर की परी हो
चांद तारे भी तेरे पास आए सूरज भी आकर प्यार जताए
बादल झुकझुक कर ले तुम्हें गलबंहिया
चांद तारे सितारें भी आकर तुम्हें
बादलों वाले घर में बुलाएं
तुम परी हो इस घर की
तुम परी हो इस धरा मन उपवन की
हर मन सुमन धड़कन बचपव की
तेरी तेज रौशन प्रतिभा से
संसार में एक नयी आकांक्षा की रौशनी है
तुम परी हो इस घर की
नहीं रहा अब लोक लुभावन संसार
शेष रही नहीं कथा कहानियों का खुमार
जमाना विज्ञान का जिसे परियों से ज्यादा
रोबोट भाता है
किसी के रहने भर से घर की रौनक नहीं दिखती
चहकते गीतों से चमकते घर कहां देख पाता विज्ञान
अनुसंधान अनुसंधान में ही खोजते हैं हंसने का राज
परी की मुस्कान भर से दीवारे खिलखिला पड़ती है
घर का हर कोना
कोना कोना जगमगा उठती है
चांद तारे बादल फूल खुश्बू
नयनों में झिलमिला उठते हैं
सब तेरे से ही मुमकिन
तेरी मुस्कान हर कोने पर खिली पडी है
खुशिया मानो बिखरी पड़ी है
तुम परी हो इस घर की । तुम परी हो इस
आभास
नूरानी चांद सा चेहरा ...............
नहीं कोई दीवानापन न कोई पागलपन
केवल मुखमंडल का है सोंधा सुहानापन
आंख से आंखे मिली तो केवल अपनापन
मनमोहक नयनों का एक मृदृल बंधन नूरानी चांद सा चेहरा ..............
तुम परी हो इस घर की
तुम परी हो इस घर की तुम गीत, गजल, कविता - शायरी हो
मीठे गानों की बोल धुन संगीत
रसभरी प्रेम की डायरी हो
तुम इस घर की परी हो
चांद तारे भी तेरे पास आए सूरज भी आकर प्यार जताए
बादल झुकझुक कर ले तुम्हें गलबंहिया
चांद तारे सितारें भी आकर तुम्हें
बादलों वाले घर में बुलाएं
तुम परी हो इस घर की
तुम परी हो इस धरा मन उपवन की
हर मन सुमन धड़कन बचपव की
तेरी तेज रौशन प्रतिभा से
संसार में एक नयी आकांक्षा की रौशनी है
तुम परी हो इस घर की
नहीं रहा अब लोक लुभावन संसार
शेष रही नहीं कथा कहानियों का खुमार
जमाना विज्ञान का जिसे परियों से ज्यादा
रोबोट भाता है
किसी के रहने भर से घर की रौनक नहीं दिखती
चहकते गीतों से चमकते घर कहां देख पाता विज्ञान
अनुसंधान अनुसंधान में ही खोजते हैं हंसने का राज
परी की मुस्कान भर से दीवारे खिलखिला पड़ती है
घर का हर कोना
कोना कोना जगमगा उठती है
चांद तारे बादल फूल खुश्बू
नयनों में झिलमिला उठते हैं
सब तेरे से ही मुमकिन
तेरी मुस्कान हर कोने पर खिली पडी है
खुशिया मानो बिखरी पड़ी है
तुम परी हो इस घर की । तुम परी हो इस
आभास
मन है बड़ा खाली खाली
दिल उदास सा लगता है
पूरे तन मन बदन में
मीठे मीठे दर्द का अहसास /
आभास लगता है।
सबकुछ तो है पहले जैसा ही
नहीं बदला है कुछ भी
फिर यह कैसा सूनापन
सबकुछ
खाली खाली सा
उत्साह नहीं लगता है।
चमक दमक भी है चारो तरफ
पर कहीं उल्लास नहीं लगता है ।।
सूरज चंदा तारे
भी नहीं लग रहे है लुभावन
मानो
सब कुछ ले गया हो कोई संग अपने ।
मोहक मौन खुश्बू सा चेहरा
हंसी ठिठोली
ख्याल से कभी बाहर नहीं
फिर भी यह सूनापन
शाम उदास तो
सुबह में कोई तरंग उमंग नहीं /
हवाओं में सुंगध नहीं
चिडियों की तान में भी उल्लास नहीं ।.
सबकुछ / कुछ अलग अलग सा अलग
मन
निराश सा लगता है
रोज सांझ दर्द उभर जाए
यही बेला
सूना आकाश और दूर दूर तक
किसी के नहीं होने का
केवल आभास ।।
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