अनामी शरण बबल
तुम परी हो इस घर
की
तुम गीत, गजल, कविता
- शायरी हो
मीठे गानों की बोल धुन
संगीत
रसभरी प्रेम की
डायरी हो
तुम इस घर की परी हो
चांद तारे भी तेरे
पास आए सूरज भी आकर प्यार जताए
बादल झुकझुक कर ले
तुम्हें गलबंहिया
चांद तारे सितारें
भी आकर तुम्हें
बादलों वाले घर में बुलाएं
तुम परी हो इस घर की
तुम परी हो इस धरा
मन उपवन की
हर मन सुमन धड़कन बचपव की
तेरी तेज रौशन
प्रतिभा से
संसार में एक नयी आकांक्षा
की रौशनी है
तुम परी हो इस घर की
नहीं रहा अब लोक
लुभावन संसार
शेष रही नहीं कथा कहानियों
का खुमार
जमाना विज्ञान का
जिसे परियों से ज्यादा
रोबोट भाता है
किसी के रहने भर से घर
की रौनक नहीं दिखती
मधुर गीतों से चहकते घर कहां देख पाता है विज्ञान
शोध अनुसंधान
में ही खोजते हैं हंसने का राज
परी की मुस्कान भर
से दीवारे कैसे खिलखिला पड़ती है
घर का हर कोना
कोना कोना चमक जाते हैं
चांद तारे बादल खुश्बू फूल
केवल नयनों में झिलमिलाते हैं
सब तेरे से ही
मुमकिन
तेरी आयुषी मुस्कान हर
कोने में खिली पडी है
खुशिया तेरी बालों सी बिखरी
पड़ी है
तुम परी हो इस घर
की ।
तुम विज्ञान परी हो इस घर की ।।
तुम विज्ञान परी हो इस घर की ।।
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