प्रस्तुति- अमन कुमार
अलग-अलग परम्पराओं से सराबोर भारत में यूं तो जगह के साथ शादी-ब्याह की रस्म और रिवाज भी अलग-अलग देखने को मिलते हैं। लेकिन जोधपुर में एक अनूठी परंपरा देखने को मिली, जहां 'शादी के लिए कुछ भी सहेगा' की तर्ज पर कुंवारे लड़के लड़कियों से मार खाते हैं और लड़कियां इन पर जमकर डंडे बरसाती है।
यूं तो राजस्थान की रेत पर परम्पराओं और संस्कृतियों के कितने ही रंग बिखरे है। लेकिन जोधपुर में बेंत मार गांगुर नाम की अनोखी परम्परा की बात ही अलग है, जहां देश भर में महिलाओं की आजादी की मुहिम छेड़ी गई है। वहीं जोधपुर की इस परंपरा के अनुसार एक रात औरतों की होती है और उसकी बादशाहत घर के अंदर नहीं, बल्कि बाहर होती है। रात में औरतें सजधजकर बाहर निकलती है। अलग-अलग रंगों के कपड़े और गहने से लदी महिलाओं के हाथ में एक डंडा भी होता है। लेकिन इस डंडे को लेकर घूम रही लड़कियों के लिए ये डंडा शादी की इलेजिबिलिटी नापने का पैमाना है।
दरअसल, रात में महिलाएं इस डंडे से कुंवारे लड़कों की पिटाई करती हैं और लड़के चुपचाप मार खाते हैं। मान्यता है कि जो लड़का मार खाता है, उसकी एक साल में शादी हो जाती है। मतलब मार खाओ ब्याह रचाओ और खास बातें ये कि इसमें विधवाएं भी हिस्सा लेती है। ये परम्परा सदियों से चली आ रही है, जिसमें अब विदेशी महिलाए भी भाग लेती है।
वैसे तो ये सब कुछ 16 दिन पहले से ही शुरू हो जाता है, यहां परम्परा के अनुसार औरते सुहाग की लंबी उम्र के लिए 16 दिन का उपवास रखती है और आखिरी दिन ये उत्सव मनाया जाता है, जिसमें शादी-शुदा महिलाओं के साथ कुंवारी लड़किया भी भाग लेती हैं।
वैसे तो कई परंपराएं महिलाओं को बेडियों में जकड़ती भी है, पर ये परंपरा खास इसलिए है कि ये महिलाओं की आजादी का जश्न मनाने की इजाजत देती है
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