मंगलवार, 18 अप्रैल 2023

इक्यावन_कविताएँ #ऋषभदेवशर्मा

 

इक्यावन_कविताएँ #ऋषभदेवशर्मा


डॉ. ऋषभदेव शर्मा की 51 चयनित कविताओं के इस गुलदस्ते का हर पुष्प अपने-आप में नयनाभिराम, सुगंधित और चटख रंगों वाला है। किसी भी रचनाकार के लिए अपने शिल्प की सीमा से बाहर लिखना कठिन होता है, लेकिन इन कविताओं में शिल्प की विविधता सहज नज़र आती है। कविताओं में विशुद्ध भारतीय और पौराणिक संदर्भों का विलक्षण मिथकीय प्रयोग और इसे आज की समस्याओं/विषमताओं से जोड़ना एक ऐसे पुल का निर्माण करता है, जिसे पार करते हुए पाठक हजार वर्षों की अंतर्यात्रा कर आता है। 


'अहं ब्रह्मास्मि' के सूत्रवाक्य की तरह इन कविताओं का विषय भी 'मैं' से 'ब्रह्म' तक व्यापक है। लेकिन इस विस्तार में जो समानता है, वह यह कि ये कविताएँ मनुष्यता के पक्ष में रची गई रचनाएँ हैं, जो साबित करती हैं कि ऋषभदेव शर्मा जन-मानस के कवि हैं। खासतौर पर एक ऐसे वक़्त में जब कविताओं के विषय सिमटते जा रहे हैं और भाषा में एकरूपता आती जा रही है, इन कविताओं को पढ़ना एक सुखद अहसास है। 


इन कविताओं से गुज़रना किसी चुंबकीय रास्ते से गुज़रने जैसा है, जहाँ इन कविताओं के अंश पाठकों की आत्मा से चिपक जाते हैं और फिर देर तक उन्हें गुदगुदाते, कचोटते, कोसते और ढाढ़स बँधाते रहते हैं। इस संकलन की कविताओं का रसास्वादन करने के बाद पाठक, प्रो. ऋषभदेव शर्मा के कवि-कर्म की गंगोत्री तक जरूर जाना चाहेंगे, ऐसा मेरा दृढ़ विश्वास है।


                ✒️ #प्रवीण_प्रणव

           (Praveen Pranav)

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