रविवार, 23 अप्रैल 2023

धीरेन्द्र अस्थाना की नजर में पंकज सुबीर


धीरेन्द्र अस्थाना की नजर में पंकज  सुबीर



 तुम्हारे पास तीन बेटियों की संपदा है, मेरे पास चाहने के बावजूद एक भी नहीं। रूदादे सफ़र जैसा महत्वपूर्ण उपन्यास तुम ही लिख सकते थे, मैं नहीं। कंटेंट के स्तर पर यह उपन्यास बहुत बहुत समृद्ध है और संवेदना के स्तर पर कातिलाना। यह लिखने का कारण है कि मैं उपन्यास पढ़ते हुए तीन चार बार रोया हूं। इसका अच्छा मतलब यह लेना चाहिए कि उपन्यास के पात्र अपनी व्यथाओं के साथ किताब से बाहर निकल कर आJपको अपने जीवन में ले आए हैं और आप उनके साथ ही रो और हंस रहे हैं। कायांतरण प्रवेश की यह कितनी बड़ी ताकत तुमने पात्रों के साथ पाठकों को भी सौंप दी है, ऐसा कोई कर पाता है क्या?

  यह देहदान की प्रक्रिया, पब्लिसिटी स्टंट, जरूरत, और अनिवार्यता का पाठ उपलब्ध कराता है,एक। यह पिता पुत्री के मायावी और महत्वपूर्ण रिश्तों की व्याख्या करता है और उसके समीकरण सुलझाता है,दो। यह पति पत्नी के तिलिस्मी रिश्तों पर पड़ी चादर हटाता है और उसे यथार्थ तथा स्नेह के संयुक्त आभासों के दर्पण में दिखाता है,तीन। चौथा सनसनीखेज यह कि मेडिकल जैसे ईश्वरीय पेशे के भीतर पनपते रक्तरंजित मंसूबों को निर्ममता से उघाड़ देता है।यह एजुकेटिव और फैमिलियर एक साथ है। मेरे जैसे आदमी के लिए बोनस भी है इसमें। इस उपन्यास के जरिए मैंने भोपाल को उसकी रूह के साथ महसूस कर लिया।

   तुम बेहतरीन कथागो हो पंकज सुबीर। आज से तुम मेरे महबूब लेखक हुए।

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