(10 अगस्त 1938-26 अगस्त 2016)
- आज जिन्हें बिछुड़े सात साल हो गए -
डा. कमल टावरी, आई.ए.एस. (रिटायर्ड),
पूर्व सचिव, भारत सरकार और कुलपति, पंचगव्य विद्यापीठ कांचीपुरम (तमिलनाडु)
ज्यादातर लोग अपना जीवन अपने परिवार की चिन्ता में ही बिता देते हैं। मगर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो
देश और समाज को आगे कैसे बढ़ाया जाए, इसकी भी चिन्ता करते हैं। प्रो. (डा.) सत्या जांगिड उन विरले भारतीयों में से एक थीं, जिन्हें भारत के लाखों निरक्षरों और अर्ध शिक्षित लोगों को शिक्षा के लिये सहज, सस्ते और सुलभ
साधन कैसे जुटाएं जाए, इसका ख्याल था।
उन्होंने 22 मई 1976 को अंग्रेजी की प्रतिष्ठित पत्रिका'मेनस्ट्रीम', नई दिल्ली में एक लेख छपवाकर लाखों लोगों के लिए शिक्षा पाने का नया रास्ता सुझाया था-
'खुला विश्वविद्यालय | अपने सुझाव को पाठकों तक पहुंचाने के लिए उन्होंने 07 नवम्बर 1976
और 21 नवम्बर 1976 को अंग्रेजी दैनिक 'द इकनामिक टाइम्स' के नई दिल्ली, मुम्बई और कोलकाता
संस्करणों में छपवाया- 'द यूनिवर्सिटी ऑफ सेकेन्ड चांस | भारत सरकार ने इसके लगभग दस साल बाद नई दिल्ली में स्थापित किया इंदिरा गांधी राष्ट्रीय खुला विश्वविद्यालय (IGNOU)
इसलिए स्थापना के दस साल पहले इस तरह के संस्थान का प्रस्ताव देना किसी 'भविष्यदृष्टा' के ही वश का हो सकता है। उनकी पुण्य स्मृति को नमन।
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