*अच्छी थी पगडंडी अपनी।*
*सड़कों पर तो जाम बहुत है।।*
*फुर्र हो गई फुर्सत अब तो।*
*सबके पास काम बहुत है।।*
*नहीं जरूरत बुज़ुर्गों की अब।*
*हर बच्चा बुद्धिमान बहुत है।।*
देव औरंगाबाद बिहार 824202 साहित्य कला संस्कृति के रूप में विलक्ष्ण इलाका है. देव स्टेट के राजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह किंकर अपने जमाने में मूक सिनेमा तक बनाए। ढेरों नाटकों का लेखन अभिनय औऱ मंचन तक किया. इनको बिहार में हिंदी सिनेमा के जनक की तरह देखा गया. कामता प्रसाद सिंह काम और इनकi पुत्र दिवंगत शंकर दयाल सिंह के रचनात्मक प्रतिभा की गूंज दुनिया भर में है। प्रदीप कुमार रौशन और बिनोद कुमार गौहर की भी इलाके में काफी धूम रही है.। देव धरती के इन कलम के राजकुमारों की याद में .समर्पित हैं ब्लॉग.
14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...
सचमुच इंसान परेशान बहुत है।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी अभिव्यक्ति सर।
सादर
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ सितंबर २०२३ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बेहद खूबसूरत
जवाब देंहटाएंसार्थक यथार्थ कहता सुंदर सृजन, बहुत अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह... बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंलाजवाब
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