गुरुवार, 9 जून 2011

अपनी मौत से कुछ समय पहले सरलजी को याद करते हुए शंकर दयाल सिंह

श्रीकृष्ण सरल

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श्रीकृष्ण सरल जन्म- ०१ जनवरी १९१९ मृत्यु- ०२ दिसम्बर २००० ई०
दुनिया में सबसे अधिक महाकाव्य लिखने वाले, बलिपंथी शहीदों के चरित–चारण, राष्ट्र भक्ति के दुर्लभ–दृष्टान्त स्वरूप जीवित शहीदों से सम्मानित, तरुणाई के गौरव गायक जिनकी कविता का एक–एक शब्द मन में देशभक्ति की अजस्र ऊर्जा भर देता है। स्वतंत्रता संग्राम की महत्त्वपूर्ण किन्तु अत्यंत सरल और अचर्चित इकाई का नाम हैं प्रो० श्रीकृष्ण सरल

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[संपादित करें] परिचय

सरल जी के सुदूर पूर्वज जमींदार थे। अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए विद्रोही के रूप मे मारे गये और फाँसी पर लटका दिये गये, ग्राम-वासियों की मदद से एक गर्भवती महिला बचा ली गयी थी उसी महिला के गर्भ से उत्पन्न बालक से पुनः वंश वृद्धि हुई। उसी शाखा में ०१ जनवरी १९१९ को सनाढ्य ब्राह्मण परिवार में अशोक नगर, गुना (म.प्र.) में सरल जी का जन्म हुआ। महाकाल की नगरी उज्जैन में साहित्य साधना की अखंड ज्योति जलाते हुए २ दिसम्बर २००० को इस संसार से विदा हो गये। जीवन पर्यन्त कठोर साहित्य साधना में संलग्न प्रो०सरल जी १३ वर्ष की अवस्था से ही क्रांति क्रांतिकारियों से परिचित होने के कारण शासन से दंड़ित हुए। महर्षि पुरुषोत्तमदास टंडन से प्रेरित, शहीद भगतसिंह की माता श्रीमती विद्यावती जी के सानिध्य एवं विलक्षण क्रांतिकारियों के समीपी प्रो॰ सरल ने प्राणदानी पीढ़ियों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को अपने साहित्य का विषय बनाया। सुप्रसिद्ध साहित्यकार पं॰ बनारसीदास चतुर्वेदी ने कहा- 'भारतीय शहीदों का समुचित श्राद्ध श्री सरल ने किया है।' महान क्रान्तिकारी पं॰ परमानन्द का कथन है— 'सरल जीवित शहीद हैं।' जीवन के उत्तरार्ध में सरल जी आध्यात्मिक चिन्तन से प्रभावित होकर तीन महाकाव्य लिखे— तुलसी मानस, सरल रामायण एवं सीतायन। प्रो॰ सरल ने व्यक्तिगत प्रयत्नों से १५ महाकाव्यों सहित १२४ ग्रन्थ लिखे उनका प्रकाशन कराया और स्वयं अपनी पुस्तकों की ५ लाख प्रतियाँ बेच लीं। क्रान्ति कथाओं का शोधपूर्ण लेखन करने के सन्दर्भ में स्वयं के खर्च पर १० देशों की यात्रा की। पुस्तकों के लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने में सरल जी की अचल सम्पत्ति से लेकर पत्नी के आभूषण तक बिक गए। पाँच बार सरल जी को हृदयाघात हुआ पर उनकी कलम जीवन की अन्तिम साँस तक नहीं रुकी।
मृत्यु से ठीक एक घण्टे पूर्व लिखा उनका यह मुक्तक 
यादें नक्श हो जायें किसी पत्थर पर तो
वे पत्थर दिल को पिघला सकती हैं।
यादें होतीं, होते उनके पैर नहीं
पर पीढ़ियों तलक वे जा सकती हैं।

[संपादित करें] रचनाएँ

संसार में सबसे अधिक महाकव्यों की रचना करने वाले इस रचनाकार की रचनाओं की सूची इस प्रकार हॅ-

[संपादित करें] काव्य-ग्रन्थ

१- बापू-स्मृति-ग्रंथ
२- मुक्ति-गान
३- स्मृति-पूजा
३- कवि और सैनिक [खण्ड काव्य]
५- बच्चों की फुलवारी
६- स्नेह सौरभ
७- काव्य कुसुम
८- किरण कुसुम
९- मुझको यह धरती प्यारी है
१०- हेड मास्टरजी का पायजामा
११- महारानी अहिल्याबाई [खण्ड काव्य]
१२- भारत का खून उबलता है
१३- रक्त गंगा
१४- अद्भुत कवि सम्मेलन [खण्ड काव्य]
१५- राष्ट्र भारती
१६- काव्य मुक्ता
१७- सरदार भगतसिंह [महाकाव्य]
१८- वतन हमारा
१९- चन्द्रशेखर आजाद [महाकाव्य]
20- सुभाषचन्द्र [महाकाव्य]
21- काव्य कथानक
22- विवेकांजलि
23- राष्ट्र की चिन्ता
24- मौत के आँसू
25- शहीदों की काव्य कथाएँ
26- जय सुभाष [महाकाव्य]
27- शहीद अश्फाक उल्ला खाँ [महाकाव्य]
28- जीवंत आहुति [खण्ड काव्य]
29- राष्ट्र-वीणा
30- इन्कलाबी गज़लें
31- शहीदी गज़लें
32- बागी गज़लें
33- कौमी गज़लें
34- जयहिन्द गज़लें
35- विवेक श्री [महाकाव्य]
36- स्वराज्य तिलक [महाकाव्य]
37- काव्य गीता
38- अम्बेडकर दर्शन [महाकाव्य]
39- कान्ति ज्वालकामा [महाकाव्य]
40- बागी करतार [महाकाव्य]
41- सरल दोहावली
42- सरल मुक्तक
43- श्रृंगार गीत
44- सरल महाकाव्य ग्रंथावली
45- क्रांति गंगा

[संपादित करें] गद्य-ग्रंन्थ

1- संस्कृति के आलोक स्तम्भ
2- हिन्दी ज्ञान प्रभाकर
3- संसार की महान आत्माएँ
4- संसार की प्राचीन सभ्यताएँ
5- विचार और विचारक [निबन्ध संकलन]
6- देश के दीवाने
7- क्रान्तिकारी शहीदों की संस्मृतियाँ
8- शिक्षाविद् सुभाष
9- कुलपति सुभाष
10- सुभाष की राजनैतिक भविष्यवाणियाँ
11- नेताजी के सपनों का भारत
12- नेताजी सुभाष दर्शन
13- राष्ट्रपति सुभाषचन्द्र बोस
14- नेताजी सुभाष जर्मनी में
15- सेनाध्यक्ष सुभाष
16- देश के प्रहरी
17- बलिदान गाथाएँ
18- शहीदों की कहानियाँ
19- क्रान्तिकारियों की कहानियाँ - भाग-1
20- क्रान्तिकारियों की कहानियाँ - भाग-2
21- क्रान्तिकारियों की कहानियाँ - भाग-3
22- क्रान्तिकारियों की कहानिया - भाग-4
23- देश के दुलारे
24- क्रान्तिवीर
25- युवकों से दो-दो बातें [निबन्ध संकलन]
26- चटगाँव का सूर्य [उपन्यास]
27- बाधा जतीन [उपन्यास]
28- चन्द्रशेखर आजाद [उपन्यास]
29- जयहिन्द [उपन्यास]
30- राजगुरु [उपन्यास]
31- रामप्रसाद बिस्मिल [उपन्यास]
32- यतीन्द्रनाथ दास [उपन्यास]
33- दूसरा हिमालय [उपन्यास]
34- कालजयी सुभाष
35- आजीवन क्रान्तिकारी
36- क्रान्तिकारी आन्दोलन के मनोरंजक प्रसंग
37- क्रान्ति-कथाएँ
38- शहीद-चित्रावली
39- सुभाष या गांधी
40- क्रान्ति इतिहास की समीक्षा
41- रानी चेनम्मा
42- नर-नाहर नरगुन्दकर
43- अल्लूरी सीताराम राजू
44- डॉ० चंपकरमन पिल्लई
45- चिदम्बरम् पिल्ले
46- सुब्रमण्यम शिव
47- पद्मनाम आयंगार
48- वांची अय्यर
49- बाबा पृथ्वीसिंह आजाद
50- वासुदेव बलवंत फड़के
51- क्रान्तिकारिणी दुर्गा भाभी
52- करतारसिंह सराबा
53- रासबिहारी बोस
54- क्रान्तिकारियों की गर्जना [संस्मरण]
55- अनमोल वचन [निबन्ध संकलन]
56- जीवन-रहस्य [निबन्ध संकलन]
57- जियो तो ऍसे जियो [निबन्ध संकलन]
58- मेरी सृजन-यात्रा [निबन्ध संकलन]

[संपादित करें] प्रतिक्रियाएँ

सरल जी द्वारा लिखे महाकाव्य सरदार भगतसिंह पर भेजी गईं प्रतिक्रियाएँ -
  • सरदार भगतसिंह काव्य ग्रंथ मेरे बेटे के अनरूप ही हैं। इसकी प्रति प्राप्त कर लग रहा है जैसे मेरा बेटा भगतसिंह मेरी गोद में आ बैठा है।
-स्व०विद्यावती जी (शहीद भगत सिंह की पूज्य माता) खटकरकलां जालधंर ( पंजाब)
  • आपके भगत सिंह महाकाव्य को मैंने विशिष्ट स्थान देकर रामायण और गीता के बीच में रख छोड़ा है।
-श्री कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर, सहारनपुर
  • सरल जी ने महर्षि वाल्मीकि, महर्षि वेदव्यास और गोस्वामी तुलसीदास की पंक्ति में अपना स्थान बना लिया है।
-आचार्य दीपेन्द्र शर्मा, धार
  • क्रान्ति–कथाएँ वास्तव में इस युग का महाग्रन्थ है। सरल जी की साधना और श्रम की जितनी प्रशंसा की जाय, कम है।
-श्री विश्वंभर नाथ पाण्डेय, राज्यपाल–उड़ीसा

  • आपकी कृतियों का मूल्यांकन तो इतिहास ही कर सकेगा। हम लोग तो वंदना ही कर सकते हैं।
-श्री शंकरदयाल सिंह, सांसद दिल्ली

  • सरल जी ने विश्व में सर्वाधिक महाकाव्य लिखे हैं।
-डॉ॰ प्रभाकर माचवे, इन्दौर

  • आपने क्रान्ति–कथाएँ लिखकर हमारी सारी विरादरी (विश्व–व्यापी) के साथ उपकार किया है। यह स्थायी कीर्ति है।
-महान क्रान्तिकारी मन्मथनाथ गुप्त, हजरत निजामुद्दीन (नई दिल्ली)

  • आपकी पुस्तकें पढ़ कर मेरे जीवन की दिशा ही बदल गई है।मैं बिगड़ा हुआ एक आदिवासी बालक था। मुझ में कई दुर्गुण थे। आपके साहित्य की प्रेरणा से मैंने सभी बुराई छोड़ दी और पढ़ाई के साथ मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार वालोअ की सहायता भी करने लगा हूँ। आप अपनी नई पुस्तकें अवश्य भेजें।
-नारायण लाल, शिवरी नारायण (म.प्र.)

  • मैं आज कल आपकी पुस्तकें विशेष रूप से इसलिए पढ़ रही हूँ, जिससे मेरी होने वाली संतान क्रान्तिकारियों जैसी निडर और देश भक्त बने।
-श्रीमती वार्ष्णेय,फिरोजाबाद (उ.प्र.)

  • आपके साहित्य को पढ़ कर मैंने जीवन भर सेवा और त्याग का संकल्प लिया है। आप मुझे पुत्री तुल्य समझ कर मुझे दिशा दान देते रहिए। कभी उपस्थित होकर चरण वन्दन करने की लालसा है।
-डॉ० रीता, बीकानेर - राजस्थान

  • आपकी पुस्तक सुभाषचन्द्र का प्रारम्भिक भाग पढ़ा मेरी आँखों से निरन्तर आँसू बहते रहे । आपके प्रति मेरा मस्तक नत हो गया। मैं सिख परिवार से हूँ। मेरे पति इन्जीनियर हैं। मेरा एक ही पुत्र है। जब पढ़ने योग्य हो जायेगा तो मैं उसे आपका पूरा साहित्य पढ़ाऊँगी। आप मुझे अपनी बेटी के रूप मे स्वीकार करें तो मैं अपने आपको धन्य समझूँगी। मेरे पिताजी मुझे लिली कहकर पुकारते थे। आप भी लिली सम्बोधन से मुझे पत्र लिखा करें।
-श्रीमती नरिन्दर कौर, राँची- (बिहार)

  • बाबाजी ! मैंने कक्षा आठ की परीक्षा दी है। मुझे पढ़ने का बहुत शौक है। आजकल मैं आपकी पुस्तक क्रान्ति कथाएँ, पढ़ रही हूँ। बाबाजी आपने कितने कष्ट झेलकर यह पुस्तक लिखी है। यदि आप जैसे चार–छह साहित्यकार हो जायँ तो इस देश का कल्याण हो जाय। मैंने तो आपके साहित्य से प्रेरणा लेकर अपना जीवन देश के लिए समर्पित करने का संकल्प कर लिया है। अपनी इस पौत्री पर कृपा बनाए रखें।
-कु. रिम्पी, बीसलपुर - पीलीभीत ( उ.प्र.)

  • बाबाजी ! जिस दिन धमतरी के कन्या–विद्यालय में, मैंने आपकी कविताएँ सुनी, तभी से आपके प्रति श्रद्धा से मन भर गया है। हम छात्राओं ने अपना एक क्लब बनाया है और हम लोग खोज–खोज कर राष्ट्रीय पुस्तकें ही पढ़ते हैं। आप जो कुछ नया, लिखें, वह हमें अवश्य भेजें।
-कु. गीता परमार, बागबहरा - रायपुर (म.प्र.)

  • मैंने आपका महाकाव्य भगतसिंह पढ़ा। इसे पाँच बार पढ़कर भी मन नहीं भरा। ऍसी पुस्तक तो विश्व–विद्यालय के पाठ्य–क्रम में सम्मिलित होना चाहिए। पता नहीं हमारे पाठ्य–क्रम निर्माता कब अपने स्वार्थों से ऊपर सही पुस्तकें छात्रों के हाथों में देगे।
-नरेन्द्र छाबड़ा, नई दिल्ली

  • आपका महान कृतित्व और हमारे देश के क्रान्तिकारी आन्दोलन का अप्रतिम स्मारक क्राति–कथाएँ देखने को मिला। इस चिर–स्मरणीय कार्य के लिए न केवल हम, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ीयाँ भी आपकी शुक्रगुजार रहेंगी। आप सौभाग्यशाली हैं कि आपके हाथों ऍसा महान कार्य सम्पन्न हुआ। इसमें आपकी जायदाद बिक गई, कोई बात नहीं। आपको ऍसी जयादाद मिल गई, जिसकी तुलना में फोर्ड और बिड़ले भिखारी नजर आएँगे।
-शिव प्रकाश पचौरी, आगरा- (उ.प्र.)
  • सरल–महाकाव्य –ग्रंथावली की गणना साहित्य के आशचर्यों में होगी।
-डॉ० पी०बी०शर्मा, नई दिल्ली

क्रान्ति–कथाएँ श्री सरल की अद्भुत कृति है। मैं लेखक के चरणों में अपना मस्तक झुकाता है। -डॉ॰ कृष्णचन्द्र गौड़, इलाहाबाद

  • क्रान्ति कथाएँ लिखकर आपने इतना बड़ा काम कर डाला है, जो कई संस्थाएँ मिलकर भी नहीं कर सकती थीं। वास्तविक बात तो यह है कि प्राण–दान तक की स्थिति में आकर आप अपना काम कर डालते हैं। आप इतनी ऊँची छलाँग लगा जाते हैं कि आप इस बात की भी चिन्ता नहीं करते कि आप गिरेंगे कहाँ।
-डॉ॰ जयन्ती प्रसाद मिश्रा, नई दिल्ली

  • सरल जी का लेखन ऍतिहासिक दस्तावेज से कम नहीं है। वह नेता जी सुभाष और आज़ाद-हिन्द-फौज का स्थायी स्मारक सिद्ध होगा।
-कर्नल जी॰एस॰ढिल्लन [आज़ाद-हिन्द-फौज] शिवपुरी - (म॰प्र॰)

  • ज़माने ने हमें जिन्दा दफना दिया था। सरल जी ने हमें निकाला और अमर कर दिया है।
-शेरे–हिन्द, सरदारे–जंग कैप्टन मनसुख लाल [आई॰एन॰ए॰] अलीगढ़ - (उ॰प्र॰)

  • नेत्र ज्योति चली गई है। एक आँख के कोने से थोड़ा दिखाई देता है। उसी कोने से पुस्तक सटाकर पूरी पढ़ डाली है। सुभाष बाबू पर आपने जो कुछ लिखा है, वह नितान्त अनिवार्य था। मैं आपको देश के स्वतंन्त्रता–संग्राम का निर्भीक सेनानी, इतिहासकार और जाग्रत प्रहरी मानती हूँ। सरल जी! आप अपनी इस धुन को कायम रखें और इसी प्रकार आनन्द लेते और देते रहें।
-महान क्रान्तिकारी दुर्गा भाभी, गाजियाबाद - (उ॰प्र॰)
  • सरल जी जीवित शहीद हैं। उनकी साहित्य साधना तपस्या कोटि की साधना है।
-महान क्रान्तिकारी स्व॰ पं॰ परमानंद, राठ - हमीरपुर - (उ॰प्र॰)

सरलजी के क्रान्ति साहित्य का मैं उतना ही आदर करता हूँ जितना रामायण और गीता का। -महान क्रान्तिकारी डॉ० भगवानदास माहौर, झाँसी - (उ.प्र.)
  • सरलजी ने देश और धरती का कर्ज उतार कर हमारी पीढ़ी पर कर्ज चढ़ा दिया है।
-वीरेन्द्रनाथ पाण्डेय, देहरादून - (उत्तर प्रदेश)
  • आपके राष्ट्रीय काव्य से मैं इतनी अधिक प्रभावित हुई हूँ कि आपका चित्र खोज कर मैंने उसे उस स्थान पर रखा है जहाँ भगवान जी रहते हैं।
-कु० ज्योतिसिंह चौहान, मेहगाँव - भिण्ड - (म.प्र)
  • सुना है आखों का आपरेशन कराने के लिए आपको अपना साहित्य बहुत सस्ते में बेचना पड़ रहा है। मेरा आग्रह है, आप एक आँख मेरी ले लीजिए।
-अश्विनी शर्मा, जयपुर - राजस्थान

  • अपनी उत्कृष्ट काव्य साधना और तप–त्याग मय जीवन के कारण सरलजी प्रातः स्मरणीय ही नहीं, क्षण-क्षण स्मरणीय हो गए हैं।
-डॉ० जवाहरलाल चौरसिया "तरुण"
  • राष्ट्र कवि प्रो०श्रीकृष्ण सरल राष्ट्रीय चेतना संपन्न विश्व कवियों में मूर्धन्य हैं।
-डॉ०श्रीमती रमा चतुर्वेदी

  • हिन्दी कवियों में राष्ट्र कवि प्रो० श्रीकृष्ण सरल अनन्वय अलंकार की भाँति समादृत हैं।
-प्रो. डॉ० दिनेश दत्त चतुर्वेदी

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