शनिवार, 25 जून 2011

इंडस्ट्री खुद को नियंत्रित करती है तो पॉलिसी की जरूरत नहीं

इंडस्ट्री खुद को नियंत्रित करती है तो पॉलिसी की जरूरत नहीं
गुरूवार, 26 मई 2011
By Administrator
Rajiv-Takru.gif

राजीव टकरू, एडिशनल सेक्रेट्री आईबी मिनिस्ट्री
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पिछले सप्ताह विभिन्न टेलीविजन नेटवर्क के 75 नए चैनलों को मंजूरी दी है इसके साथ ही देश में चैनलों की संख्या ने 700 के आंकड़े को छू लिया है। मंत्रालय ने अभी तक भारत में नए चैनलों को मंजूरी देने के लिए किसी भी प्रकार के नियंत्रण पर विचार नहीं किया है।” इसलिए संभावना है कि, आने वाले महीनों में भी मंत्रालय नियमित अंतराल पर नए चैनलों की मंजूरी देता रहेगा। जहां तक रेगुलेशन का सवाल है तो इस दिशा में काफी काम हो रहा है।

भारतीय ब्रॉडकास्टिंग फेडरेशन (आईबीएफ) के द्वारा नॉन-न्यूज़ चैनलों के लिए कंटेंट से संबंधित मुद्दे को देखने के लिए ब्रॉडकास्टिंग कंटेंट कंप्लेंट काउंसिल (बीसीसीसी) के गठन का प्रयास सराहनीय है। मंत्रालय ने इस मुद्दे पर पिछले कई महीनों से इंडस्ट्री के लोगों से बात की है। हमने पाया है कि इस दिशा में सकारात्मक प्रयास हुए हैं। सेल्फ रेगुलेशन, रेगुलेशन का सर्वोत्तम रूप है। अगर आप खुद से नियंत्रण कर रहे हैं तो उसके लिए किसी पॉलिसी की क्या जरूरत है?”

सूचना एवं प्रसारण अपनी तरह से कार्य कर रहा है। इसके कुछ नियम और अधिनियम हैं जो बदलने नहीं जा रहे हैं। “हम चाहते हैं कि चैनलों में प्रभावी स्वनियंत्रण हो और हम सब उसके लिए कार्य कर रहे हैं।”

जस्टिस जेएस वर्मा के नेतृत्व में एनबीए और बीईए इंडस्ट्री में अच्छा कार्य कर रही है। हालांकि अतीत में कुछ समस्यायें थीं और छोटी-मोटी समस्यायें तो आती रहती है। मंत्रालय इंडस्ट्री के साथ मिलकर इस मुद्दे पर कार्य कर रहा है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...