(करवा चौथ के पावन-पर्व पर संस्कृति का सम्मान करने
वाली दुनिया की समस्त स्त्रियों को समर्पित)
त्याग है नारी, प्यार है नारी / ईश्वर का उपहार है नारी
पार लगाती जो दुनिया को / वो अद्भुत पतवार है नारी
देह नहीं है ये नादानो / हम सब पे उपकार है नारी
सबका दुःख बन जाता उसका / एक महा किरदार है नारी
बिन इसके घर भूत का डेरा / घर के गले का हार है नारी
मुक्ति जहां से हो कर मिलती / वो इक पावन द्वार है नारी
इस पर अत्याचार न करना / देवी का अवतार है नारी
बिगड़ी सदा बनाने वाली / जादू का संसार है नारी
लगे फूल -सी कोमल है पर / वक्त पड़े तलवार है नारी
उसे हराना मुश्किल है पर / खुद ही जाती हार है नारी
एक पंक्ति में बोलूं तो फिर / धरती का श्रृंगार है नारी
तेरे कारण दुनिया सुन्दर / बार-बार आभार है नारी
पुरुष सदा पत्थर है 'पंकज' / पर निर्मल जलधार है नारी
वाली दुनिया की समस्त स्त्रियों को समर्पित)
त्याग है नारी, प्यार है नारी / ईश्वर का उपहार है नारी
पार लगाती जो दुनिया को / वो अद्भुत पतवार है नारी
देह नहीं है ये नादानो / हम सब पे उपकार है नारी
सबका दुःख बन जाता उसका / एक महा किरदार है नारी
बिन इसके घर भूत का डेरा / घर के गले का हार है नारी
मुक्ति जहां से हो कर मिलती / वो इक पावन द्वार है नारी
इस पर अत्याचार न करना / देवी का अवतार है नारी
बिगड़ी सदा बनाने वाली / जादू का संसार है नारी
लगे फूल -सी कोमल है पर / वक्त पड़े तलवार है नारी
उसे हराना मुश्किल है पर / खुद ही जाती हार है नारी
एक पंक्ति में बोलूं तो फिर / धरती का श्रृंगार है नारी
तेरे कारण दुनिया सुन्दर / बार-बार आभार है नारी
पुरुष सदा पत्थर है 'पंकज' / पर निर्मल जलधार है नारी
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