मेघन के मिरदंग बजावत झूमत-गावत सावन आइल।
मौसम सरस सुहावन आइल।।
सोभत बा धरती के तन पर धानी चुनरी कतना सुन्दर
दूर-दूर ले हरियाली के उड़त अँचरवा लहरे फर-फर
सावन के रिमझिम फुहार में बाग कल्पना के हरियाइल।
मौसम सरस सुहावन आइल।।
धरा फाड़ि के दादुर चंचल कुंभकरन से नींद से जागल
टर-टर-टर के गीत राति के सन्नाटा के भेदे लागल
चातक के पी-पीं के रट से
विरहिन के जियरा अकुलाइल।
मौसम तरल सुहावन आइल।।
सूखल आहर-पोखर उमड़ल,
दुखिया नदियन के दिल बहुरल
खेतन में रोपन के, घर में कजरी के रसगर सुर गूँजल
लह-लह, चह-चह देखि बधरवा
‘होरी’ के मनवां हुलसाइल।
मौसम सजल सुहावन आइल।।
पात-पात के प्यास बुझावत,
कलियन-फूलन के नहवावत
तन के मन के तपन मिटावत,
धरती पर मोती बरसावत
सतरंगी परचम लहरावत फिर सावन मनभावन आइल।
मौसम विमल सुहावन आइल।।
मौसम सरस सुहावन आइल।।
सोभत बा धरती के तन पर धानी चुनरी कतना सुन्दर
दूर-दूर ले हरियाली के उड़त अँचरवा लहरे फर-फर
सावन के रिमझिम फुहार में बाग कल्पना के हरियाइल।
मौसम सरस सुहावन आइल।।
धरा फाड़ि के दादुर चंचल कुंभकरन से नींद से जागल
टर-टर-टर के गीत राति के सन्नाटा के भेदे लागल
चातक के पी-पीं के रट से
विरहिन के जियरा अकुलाइल।
मौसम तरल सुहावन आइल।।
सूखल आहर-पोखर उमड़ल,
दुखिया नदियन के दिल बहुरल
खेतन में रोपन के, घर में कजरी के रसगर सुर गूँजल
लह-लह, चह-चह देखि बधरवा
‘होरी’ के मनवां हुलसाइल।
मौसम सजल सुहावन आइल।।
पात-पात के प्यास बुझावत,
कलियन-फूलन के नहवावत
तन के मन के तपन मिटावत,
धरती पर मोती बरसावत
सतरंगी परचम लहरावत फिर सावन मनभावन आइल।
मौसम विमल सुहावन आइल।।
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