सोमवार, 29 अगस्त 2016

अपनी बात / अनुपम वर्मा





कमरे में चारों तरफ़ अँधेरा और सन्नाटा ही था,ठीक वैसा ही सन्नाटा उस कमरे में मौजूद हस्ती के वजूद पर तारी था----
उनकी चीखें और दहाड़ मार कर मातम करने की ख्वाहिश भी जैसे उस रात उनके घर के पिछवाडे में कब्र खोद कर दफन कर दी गई हो
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अब्बू हमें जल्द ही ये शहर छोड़ना होगा-,उमेर ने चाय का घूंट हलक में उतारते हुए कहा मगर फिरोज साहब ने जैसे अनसुना कर दिया !वो अब भी छत पर लटकते फानूस को गायब दिमागी से देखे जा रहे थे!पिछली ईद पर ही तो उनकी हानिया ने मंगवाया था --------
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जुबैर,मैं कितने दिन छिपा सकती हूँ अम्मी अब्बू से हमारे बारे में ?आप प्लीज़ अपने घरवालों को मेरे घर भेजें!!
भाई सख्त खफा हैं मेरे रवैये से क्योंकि मैं ही बिना किसी माक़ूल वज़ह के शादी से इनकार कर रही हूँ---कुछ परेशान सी, घनी पलकों वाली हानिया उस वक़्त जुबैर को अपने दिल के और करीब महसूस हुई!!!!
" हानी,मैं इसी सण्डे को अम्मी अब्बू को भेजता हूँ,अब्बू वापस आ रहे हैं इसी हफ्ते----- जुबैर ने यकीन दिलाया उसे !!और फ़िर दोनों खामोश होकर कॉलेज के ग्राउंड की घास को बेवजह तोड़ते रहे !!!!
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सेटर्डे की शाम से ही जुबैर का फोन ऑफ था, जुबैर के दोस्त ज्यादा नहीं थे जितने भी थे उनसे हानी और जुबैर के रिश्ते की संजीदगी छिपी हुई थी इसलिये सख्त परेशान होते हुए भी हानिया दिल ही दिल में सिर्फ़ दुआ ही कर पाई !!!!!!
इसी आलम में उमेर भाई कमरे के अंदर आये और अपने लहजे के खिलाफ़ मिठास घोल कर बोले----"चल हानी तुझे आज आइस क्रीम खिला कर लाता हूँ""
कोई और वक़्त होता तो हानिया खुशी से झूम उठती इस पेशकश पर मगर अभी उसका जहन जुबैर में उलझा था इसलिये बमुश्किल ही सही इनकार कर दिया !!!मगर उमैर ने एक ना सुनी,आइस क्रीम खिलाने के बाद हानिया को दो रेडीमेड खूबसूरत सूट दिलाये और फ़िर डिनर पर भी ले गया !!
हानिया खुश थी और भाई के होने को महसूस कर रही थी
वह बिरयानी की खुशबू से ज्यादा भाई का प्यार महसूस कर रही थी !इतने में ही मैसेज टोन बजा---भाई के सामने उसने देखना ठीक नहीं समझा,यूँ ही उसे भाई का साथ मुश्किल से मिला था !!!
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वापसी में हानिया जहनी तौर पर हल्का महसूस कर रही थी!!पोर्च में गाड़ी रुकते ही उसे अब्बू दिख गए जो शायद क्यारी की तरफ़ से आये थे..मिट्टी लगी थी सारे कपडों पर!!अम्मी भी मिजाज के खिलाफ आज पौधों को पानी दे रही थीं वो भी इस वक़्त !!!हानिया खुश थी इस तब्दीली से !!!
कमरे में जाकर उसने मोबाइल उठाया ही था कि अम्मी दूध का गिलास लेकर आ गयीं, "हानी,मेरी बच्ची आज मैं तेरे साथ ही सोउन्गी,ले तू दूध ख़त्म कर!!!
अम्मी मैं नहीं पी सकती,आज भाई ने बेवजह ही दावत दे डाली----हानिया ने इनकार करने की पुरजोर कोशिश की मगर अम्मी का दिल दुखने के डर से एक साँस में ही पी गई !!!दूध उसे हमेशा से नापसंद था और आज कुछ ज़्यादा ही अजीब लग रहा था!!!!!
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अम्मी ने उसका सर गोद में रख लिया और अपनी अंगुलियों से उसके रेशम जैसे बाल सहलाती रहीं!!!अम्मी के सामने जुबैर को कॉल नही कर सकती थी इसीलिये मैसेज करने के लिए फोन अनलॉक किया कि जुबैर का मैसेज जगमगाया ----अम्मी ना होतीं तो शायद खुशी से चीख पड़ती मगर -------_
अम्मी के सामने भी चीखी ही थी ---बेयकीनी से ,ग़म की शिद्दत से ,माँ बाप और भाई की बेरहमी से ,एक बेकसूर के कत्ल की वजह बनने के अहसास से
आखिरी पैगाम था जुबैर की तरफ़ से----हानी,मुझे धोखेबाज़ मत समझना!!हमें उस दिन उमैर भाई ने एक साथ देख लिया था!उन्होंने मुझसे मुलाकात की ,पसंद भी किया !!मगर वादा ले लिया कि तुम्हे ना बताऊँ !!मुझे वादे का पास रखना था!उन्होंने मुझे कोल्ड ड्रिंक में ज़हर दे दिया !मर रहा हूँ !शायद तुम्हारे घर में ही गाढ़ दिया जाऊँ !मेरे अम्मी अब्बू की ख़बर लेते रहना!साँसें चल रहीं हैं!शायद जिंदा ही दफन किया जाऊँगा -------------
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अम्मी ने हानी का मोबाइल लेकर मैसेज डिलीट कर दिया !!!!
हानी के मुँह से झाग निकल रहा था!!
इस वक़्त वो जिंदा लाश बनकर एक लाश को घूर रहीं थीं
कुछ वक़्त बाद इस लाश को भी दूसरी लाश के बगल में दफना कर वहाँ चम्पा के सफ़ेद फूलों वाले पौधे रोप दिये जायेंगे !!!
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आज वो पौधे बडे हो चुके हैं !!!खुशबू है उन चम्पा के फूलों में
मगर जुबैर और हानिया की मोहब्बत की खुशबू !!
अकसर कुंदुस बेगम के आँसुओं के क़तरे ओस के कतरों के साथ इन पौधों की सब्ज पत्तियों पर जम जाते हैं
अकसर वह इन मासूमों की अनाम कब्रों पर अपने गुनाह की सज़ा के लिये दुआ माँगती हैं
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Comment

1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 31 अगस्त 2016 को लिंक की गई है.... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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