Bihari Ke Dohe in Hindi – bihari ke dohe in hindi with the meanings – बिहारी के दोहे अर्थ सहित बिहारी रीतिकाल के प्रमुख कवि हैं. बिहारी सतसई उनकी एक मुख्य कृति है. बिहारी की शब्द आभिव्यक्ति अत्यंत मधुर और मनमोहक हैं. इनका जन्म 1595 में हुआ था. तो आइए बिहारी के कुछ प्रसिद्ध दोहों को अर्थ सहित जानते हैं. बिहारी के दोहे अर्थ सहित : कब को टेरत दीन ह्वै, होत न स्याम सहाय । तुम हूँ लागी जगत गुरु, जगनायक जग बाय ।। अर्थात – हे कृष्ण, मैं कब से दीन-हीन होकर तुम्हें बुला रहा हूँ लेकिन तुम हो कि मेरी मदद हीं नहीं कर रहे हो. हे जगतगुरु, हे जग के नायक क्या तुमको भी इस संसार की हवा लग गई है ? क्या तुम भी इस दुनिया के जैसे हो गए हो ? नीकी लागि अनाकनी, फीकी परी गोहारि । तज्यो मनो तारन बिरद, बारक बारनि तारि ।। अर्थात – हे कृष्ण, मुझे लगता है कि अब तुमको आनाकानी करनी अच्छी लगने लगी है और मेरी पुकार फीकी पड़ गई है. मुझे लगता है कि एक बार हाथी को तारने के बाद तुमने भक्तों को तारना छोड़ हीं दिया है. कोटि जतन कोऊ करै, परै न प्रकृतिहिं बीच । नल बल जल ऊँचो चढ़ै, तऊ नीच को नीच ।। अर्
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