आ गया फिर एकबार सावन
आ गया फिर एकबार सावन,
करके मन को पावन-पावन,
देखो कैसी रूत हुयी सुहानी,
देखकर मन हो रहा मनभावन।
आ गया फिर एकबार...।
चहुँओर ओर हरियाली छायी,
सबके चेहरे पर खुशियाँ आयी,
गोरी का मन खिल उठा है,
आये जबसे उसके साजन।
आ गया फिर एकबार...।
उमड़-उमड़कर बदरा छाये,
बदरा देख सबके मन भाये,
मन मयूर नाच उठा रजनी का,
आये जबसे उसके राजन।
आ गया फिर एकबार...।
भोले भी अब लगे मुस्कुराने,
भक्त लगे अब आने-जाने,
गूँज रहा कावरियों का नारा,
प्रकृति लगने लगी सुहावन।
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सावन देख खुश हो रहा "अकेला"
छोड़कर इस दुनियाँ का झमेला,
मौसम भी अब बेईमान हुआ है,
देखकर अपना प्यारा सावन।
आ गया फिर एकबार...।
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अरविन्द अकेला,
पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27
दिल से आभार आदरणीय बबल भाई।
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