शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

विजय केसरी 'साहित्य भूषण सम्मान' से अलंकृत


                           



हजारीबाग, स्थानीय खजांची तालाब स्थित 'गायत्री शक्ति पीठ में आयोजित एक समारोह में शांतिकुंज हरिद्वार के परिव्राजक श्याम कुमार ने नगर के जाने-माने साहित्यकार, कथाकार, समाजसेवी विजय केसरी को 'साहित्य भूषण सम्मान, प्रदान कर अलंकृत किया।

 सम्मान स्वरूप इन्हें 'प्रशस्ति पत्र', परम पूज्य गुरुदेव श्री राम शर्मा आचार्य की पुस्तक एवं पुष्पगुच्छ प्रदान कर  किया गया।

यह सम्मान इन्हें बीते 45 वर्षों से लगातार हिंदी लेखन में गतिशील रहने, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बारह सौ से अधिक स्तंभ प्रकाशित,  देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में पच्चीस कहानियां प्रकाशित,दो पुस्तकों का संपादन एवं साहित्यिक संस्था 'परिवेश' के तत्वधान में सौ से  साहित्यिक गोष्ठियों के सफल आयोजन एवं समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए   प्रदान किया गया है।

इस अवसर पर शांतिकुंज हरिद्वार के परिव्राजक श्याम कुमार ने कहा कि विजय केसरी बीते 45 वर्षों से निरंतर हिंदी की सेवा में सलंग्न हैं।  इनकी हिंदी साधना समाज के लिए प्रेरणादाई है। समाज में व्याप्त कुरीति, अंधविश्वास,दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या के उन्मूलन के लिए इनकी लेखनी सदा लोगों को प्रेरित करती रहेगी।

साहित्यकार विजय केसरी ने कहा कि मै एक साहित्यकार बन पाया हूं अथवा नहीं ! मैं यह  नहीं जानता हूं। लेकिन लिखने में मुझे असीम आनंद की प्राप्ति होती है। लेखन मेर जीवन की साधना और पूजा है।  कोई भी काम निष्ठा से की जाए तो परिणाम अच्छे होते हैं। विषय परिस्थितियों में भी व्यक्ति को नैतिकता का त्याग नहीं करना चाहिए। साहित्य सृजन का उद्देश्य समाज में नैतिकता को स्थापित करना ही है।

आयोजित सम्मान समारोह में देवंती देवी, शकुंतला देवी, विमला शर्मा, गीता देवी, ललिता खत्री, किरण अग्रवाल, गायत्री पूजा,शशि प्रभा, वासुदेव पुजारी, अभिषेक केसरी, प्रदीप प्रसाद आदि सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ गायत्री माता की मूर्ति के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। विश्व शांति के लिए यज्ञ का अनुष्ठान किया गया।

                                                    हस्ताक्षर 

                                                 

                                               ( बासुदेव पुजारी)

                                                 गायत्री शक्तिपीठ

                                                    हजारीबाग

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...