शुक्रवार, 3 दिसंबर 2021

प्रेम कविता / अरविंद अकेला


 क्या करूँ मैं तेरी बड़ाई / अरविंद अकेला 

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क्या करूँ मैं तेरी बड़ाई,

तुम हीं हो मेरी जान ,

तुम हीं मेरी राधा,सीता,

तुम हीं हो मेरी अरमान।


तुमसे मेरे घर की रौनक,

तुम से हीं मेरी पहचान ,

तुम से शुरू मेरी गलियाँ,

तुम हीं मेरी दुनियाँ, जहान।


तुम से मेरी हर दिन शुरू,

तुम से मेरी हर सुबह,शाम,

तुम हीं हो मेरे दिल की धड़कन,

तुम हीं मेरी घर की शान ।


तुम हीं मेरे जीवन की  ज्योति,

तुम हीं मेरी हीरा-मोती,

तुझे मिले जीवन में हर खुशियाँ,

तेरी सदा हो जय,कल्याण।


मैं हूँ अकेला दास तुम्हारा,

तुम बिन मेरा नहीं गुजारा,

बनी रहे तुझपर ईश्वर कृपा,

तुझे हर जगह मिले सम्मान। 


तुम बिन नहीं अस्तित्व हमारा,

तुम बिन नहीं जीना गँवारा,

तुममें रचता बसता यह "अकेला",

तुम हीं मेरी जीवन,प्राण।

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         अरविन्द अकेला

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