शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021

खट्टी मीठी यादों के संग विदा हो रहा हैं साल 2021../ उदभरांत शर्मा


उदभरान्त शर्मा


 यह साल अपने अंतिम दिन तक आ पहुँचा,उस क्षण को लिये कि आप लेखा-जोखा कर सकें कि क्या पाया,क्या खोया।कोरोना की वजह से अपने कई साहित्यिक मित्रों को खो दिया।पत्नी के बैक बोन में फ्रैक्चर के चलते 22 दिन उनके साथ अस्पताल में इलाज कराकर असंख्य मित्रों की शुभकामनाओं के फलस्वरूप उन्हें घर ले आया और अब घर पर सेवा-सुश्रूषा के साथ अन्य सेवाओं और इन्सुलिन के अतिरिक्त प्रतिदिन एक इंजेक्शन और लग रहा। सुगन्धा की पिछले साल हुई शादी में कुछ परेशानियाँ तेज़ी से उभरीं।उन्हें हल करने का प्रयास चल रहा है।

    साहित्यिक मोर्चे पर देखें तो मेरी व मुझसे संबंधित 8 पुस्तकें छपीं।अमन प्रकाशन कानपुर से आया 'पृथ्वी-आकाश' मेरा नया कविता संग्रह है।'शेष समर' बली सिंह के सम्पादन में 21वीं सदी की चयनित कविताओं का संग्रह है तो 'क्षणों के आख्यान' फ़ेसबुक डायरी है।ये दोनों किताबें यश प्रकाशन से आईं।इसी वर्ष 'राधामाधव' का रिफ़त शाहीन द्वारा किया गया उर्दू अनुवाद व 'त्रेता' का जितेन्द्र मिश्र 'अनिल' द्वारा किया अनुवाद दिल्ली के राधा प्रकाशन/नमन प्रकाशन से आये।वहीं से 'अभिनव पाण्डव' पर कर्णसिंह चौहान संपादित आलोचना पुस्तक के लोकार्पण में हुए विमर्श का लिप्यान्तरण डॉ पंकज शर्मा के सम्पादन में आया--'एक आलोचनात्मक संवाद' शीर्षक से।इसी प्रकाशन से 'अनाध्यसूक्त' पर दिनेश कुमार माली की आलोचना पुस्तक आई--'अनाध्यसूक्त : विज्ञानाध्यत्मिक दार्शनिक काव्य का अणु-चिंतन'। माली की एक आलोचना पुस्तक 'रुद्रावतार : मिथकीय सीमाओं से परे' अमन प्रकाशन से आने के पूर्व हरेप्रकाश उपाध्याय द्वारा संपादित महत्वपूर्ण पत्रिका 'मंतव्य' के विशेष अंक के रूप में चर्चित हुई।

   'कथा' ,'सरस्वती','साहित्य सरस्वती','मुद्राराक्षस उवाच'और 'समकालीन भारतीय साहित्य' में कविताएं,'पाठ' में 'नक्सल' की समीक्षा और शरद दत्त का हमारे ऊपर संस्मरण,'नवनीत' में आत्मकथा के शीघ्र आ रहे दूसरे खण्ड का एक अंश,'सोच-विचार' में ठाकुरप्रसाद सिंह पर संस्मरण आये।'जनसत्ता' में 'पृथ्वी-आकाश','क्षणों के आख्यान' और 'शेष समर' की समीक्षाएं आईं।

      महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले से गत 12 वर्षों से निरंतर प्रकाशित हो रही महत्वपूर्ण त्रैमासिक पत्रिका 'नागफनी' का डबल डिमाई आकार के 154 पृष्ठों का विशेषांक --व्यक्तित्व और कृतित्व पर पहला--मेरे 74वें वर्ष में प्रकाशित होकर जबरदस्त चर्चा में रहा।

      आकाशवाणी दिल्ली से 'राधामाधव' और 'ब्लैकहोल' का नाट्य-रूपांतर प्रसारित हुआ और श्रीराम सेन्टर में काजल सूरी के कुशल निर्देशन में 'ब्लैकहोल' का शानदार मंचन भी इसी वर्ष हुआ। आकाशवाणी से 'शेष समर' और 'क्षणों के आख्यान' पर कवयित्री-समीक्षक अनीता वर्मा ने हमारे साथ संवाद करते हुए सुंदर समीक्षा की।उन्होंने अपने 'खुले मंच' पर आत्मकथा के पहले खण्ड 'बीज की यात्रा' की भावपूर्ण समीक्षा का वीडियो यूट्यूब पर जारी किया।

        आत्मकथा के दूसरे खण्ड 'किस राह से गुज़रा हूँ' को इस वर्ष भी 2 नये मसौदों के ज़रिये और जाँचने-परखने-माँजने के बाद फाइनल कर पहले खण्ड के यशस्वी  प्रकाशक अमनप्रकाशन को दे दिया,जो कुछ दिनों में ही उसकी प्रीबुकिंग शुरू करने जा रहे हैं।

       बड़ी बेटी डॉ तूलिका सनाढ्य की पीएचडी थीसिस पुस्तकाकार छप कर आई--'Master Plans of Delhi Metropolitan Area' इंडियन रिसर्च अकैडमी दिल्ली ने प्रकाशित की और इसी वर्ष वह बीआर अम्बेडकर कॉलेज में जियोग्राफी डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफ़ेसर के रूप में प्रोन्नत हुई।

      सुगन्धा ने यूट्यूब पर मोटिवेशनल वीडिओज़ निर्मित कर जारी करने शुरू किए जबकि सर्जना ने '"Chaaywali" के नाम से अपना टी कैफ़े लांच किया।

       कामना है कि हमारे सभी मित्र स्वस्थ-प्रसन्न व नकारात्मक विचारों से मुक्त रह प्रगति-पथ पर सदा अग्रसर रहें और समाज में दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही धार्मिक संकीर्णता और नफ़रत की आँधी को रोकने में प्रभावी भूमिका अदा करें।नया वर्ष कोरोना को परास्त करते हुए उससे प्रभावित हर वर्ग के हर व्यक्ति को अपेक्षित राहत दे।

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