#खुद_को_पहचानो
एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया कुछ दिनों बाद उन अण्डों में से चूजे निकले बाज का बच्चा भी उनमे से एक था वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा वो भी वही करता जो बाकी चूजे करते मिटटी में इधर-उधर खेलता दाना चुगता और दिन भर उन्ही की तरह चूँ-चूँ करता बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था तब उसने बाकी चूजों से पूछा कि इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है..?
तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!
बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की वो बिना अपनी ताकत जाने ही चूजों की तरह रह कर अपनी ज़िन्दगी बिताने लगा
एक दिन ऊपर उड़ने वाले बाज की नज़र उन चूजों के झुण्ड में पड़ी और देखा इन चूजों के झुण्ड में एक बाज जो चूजों की तरह ही हरकते कर रहा है थोड़ा ही ऊपर उड़ कर फड़फड़ाकर नीचे गिर जा रहा है.
बाज को उस पर तरस आ गया और उसके पास जा कर उसे कहने लगा तू तो बाज है तू इस चूजों के बीच रहकर क्या कर रहा है तू भी तो मेरी तरह ऊपर ऊँची उड़ान भर सकता है
लेकिन चूजों के बीच बैठा बाज का वो जवान बच्चा इस बात को मानने को तैयार ही नही था वो कह रहा था नहीं मैं तो चूजा हूँ और मुझमे इतनी काबिलियत नहीं कि मैं तुम्हारी तरह ऊँची ऊँची उड़ान भर सकूँ
तब बाज़ से रहा नही गया और उसने उस चूजे के बीच रहने वाले बाज के बच्चे को उसकी काबिलियत दिखाने के लिए उसे समझाने की कोशिश की, कि देख तेरे पंख भी मेरी तरह फैलते हैं चल तू मेरे साथ उड़ना शुरू कर लेकिन वो बाज का बच्चा फिर भी नही माना तो बाज ने चूजों के झुण्ड के बीच उस बाज़ के बच्चे को अपने पैर और चोंच से उठा कर ऊपर आसमान की उचाईयों में ले गया और उस ऊंचाई से ही उस जवान बाज के बच्चे को छोड़ दिया छूटते ही जवान बाज चिल्लाते हुए नीचे की और गिरने लगा ।
तभी बाज़ ऊपर से जोर से चिल्ला चिल्ला कर कहने लगा तू बाज़ है तू बाज़ है तू अपने पँखों को फैला कर तो देख तू नीचे गिरते जा रहा है और निचे गिरते तेरी मौत निश्चित है इसलिए तू अपने आप को पहचान तू अपनी ताकत पहचान तेरा उड़ने का दायरा चूजों से कहीँ ज्यादा है.
उस बाज की आवाज़ सुनकर और खुद को ज़मीन की और गिरता देखकर बाज़ के बच्चे ने जैसे ही अपने पंख फैलने की कोशिश की उसके पँख पूरी तरह से फ़ैल गए और जैसे ही पंखों को हिलाया ऊपर की ओर उड़ने लगा और आखिर आसमान की उचाईयों पर अपनी उड़ान भरने लगा और तब उसे अपनी काबिलियत का अहसास हुआ।
हम जीव आत्माओं को भी परमात्मा ने मालिक तक पहुचने की ने ऐसी उड़ान, ऐसी ताकत बक्शी हुई है कि अपनी उड़ान से अपनी आत्मा को रूहानी मण्डलों की ऊंचाई पर ले जा सकें । लेकिन हमने अपना दायरा उस चूजे के जैसा कर दिया है एक बार अगर हमने अपनी ताकत को, अपनी प्रतिभा को, अपनी क्षमताओं को पहचान लिया तो फिर हमको उन रूहानी बुलंदियों तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता सो हमें चाहिये चूजा समझ कर खुद को छोटे छोटे दायरों में ना सिमटे रहें, बल्कि बाज़ की तरह अपनी ताकत और अपने दायरे को बड़ा करें और खुद को पहचाने, खुद की ताकत को पहचानो
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