सोमवार, 10 जुलाई 2023

विनोद कुमार गौहर की दो रचनाएं ( गीत गजल )

 

धान की खेती पानी मांगे 

रूप वासंती धानी मांगे..


साँवरे बादल झूम के बरसों, 

प्यासी धरती पानी मांगें..

जिसका सूरज सुबह को डूबा 

वो क्या रात सुहानी माँगे..

वस्ति में अंधियारे वाला 

क्या नूर ए इरफा नी मांगे..

मेरे आज का जीवन गोहर 

कल की खोई कहानी माँगें.....



2



जुल्फ चेहरे से हटाने दीजिये 

चाँदनी को मुस्कुराने दीजिये..

देखिए मुझसे ना यूँ शर्मा ई ये 

रूख से पर्दा तो हटाने दीजिये..

खुदबखुद पैमाने सभी भर जाएंगे 

उनको महफिल में तो आने दीजिये 

दुश्मनों को आजमाया है बहुत 

दोस्तो को आजमाने दीजिए..

अब सही जाती नहीं हैँ दूरियां 

अपनी बाहों में समाने दीजिये..

अब तो गौहर भी तेरा शैदाई है 

दुनियां वालों को बताने दीजिये......

   

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