--
*बादल-परिवार का मौनव्रत*
-
'न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी'
मुहावरे के 'ऐप' को
बादलों ने भी अपने 'लैपटॉप' में
'डाऊनलोड' कर लिया
कटते हरे-भरे पेड़ों को
'गूगल' में देख-देख कर
पथरा गईं बादल-परिवार की आंखें
धरती को सूरज के हवाले कर
'मौन के योगाभ्यास' के लिए
तान ली चादर
न झूमेंगे, न बरसेंगे
और न बहेगी ठंडी-ठंडी हवा
जीने के लिए
मिल तो जाएगा ही इंजेक्शन और दवा।
-
*सलिल पांडेय, मिर्जापुर।*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें