रविवार, 19 जून 2022

पिता / अरविंद अकेला:


वह छोड़ गये हैं 

  

आज नहीं है मेरे पास,

मेरे पिता की कोई वसीयत,

कोई जमीन जायदाद,

नहीं है कोई बैंक बैलेंस,

नहीं कोई छोड़ी हुई हवेली,

या साधारण सा मकान। 


वह छोड़ गये है,

मेरे तन मन में अपना वजूद,

अपनी अजीम शख्शियत,

अपना अलौकिक व्यक्तित्व,

अपनी कर्मठता,ईमान, 

और अपनी ऊँची शान।


करता हूँ महसूस खुद में,

उनका जूझारुपन,

उनकी दयालुता,संघर्ष,

उनका दिया अनुशासन ,

उनकी सकारात्मक सोच,

और उनका सामजिक सम्मान।


आज उनकी बदौलत,

बन पाये एक इंसान,

मिल रही राष्ट्रीय प्रतिष्ठा,

स्वस्थ हैं अपने तन, प्राण,

बढ़ रही मेरी यश कीर्ति,

हो रहा मेरा कल्याण।

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     अरविन्द अकेला,पूर्वी रामकृष्ण नगर,पटना-27:

 


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पिता घर के आसमान हैं  /  नेतलाल यादव


पिता घर के आसमान हैं

पिता परिवार के शान हैं

पिता बच्चों के अरमान हैं

पिता बहुत मूल्यवान हैं ।


पिता जीवन के संचित ज्ञान हैं 

पिता समाज के मान है

पिता संतानों के धनवान है

पिता के कदमों चारों धाम है


पिता मेहनत करते हैं

पिता तकलीफ को सहते हैं

पिता आशीर्वचन ही देते हैं

दुनियाँ दूसरे भगवान कहते हैं



पिता संस्कारों के बीज बोते हैं

पिता अनुशासन प्रिय होते है

पिता सिंधु-सा गंभीर होते हैं

पिता मुश्किलों में वीर होते हैं । ।


नेतलाल  यादव ।

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