सोमवार, 13 जून 2022

रवि अरोड़ा की नजर से........

 कुछ तो कहिए मोदी जी .. प्लीज़ / रवि अरोड़ा


देश के मुस्लिम नेतृत्व ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उनकी अक्ल घास चरने गई हुई है । जुम्मे की नमाज़ के बाद जगह जगह उत्पात मचवा कर उन्होंने ठीक वही काम किया जो उनके विरोधी चाहते थे । नतीजा अब वे लोग भी उनसे छिटक रहे हैं जो नूपुर शर्मा के जहरीले बयान के बाद साथ खड़े थे । आम चुनावों को आधार मानें तो आंकड़े बताते हैं कि देश का 63 फीसदी मतदाता 2019 तक भगवा ब्रिगेड को पसंद नहीं करता था और उसकी साम्प्रदायिक नीतियों के खिलाफ और सौहार्द का हामी था । जुम्मे की नमाज़ के बाद की गई हिंसा और तोड़फोड़ से यकीनन इस संख्या में अब भारी कमी ही आई होगी । कहना न होगा कि दंगा करके उपद्रवियों ने अपनी कौम का कितना बड़ा नुकसान कर डाला है, इसका उन्हें अंदाजा भी नहीं है । 


बेशक यह मुल्क संविधान और कानून से चलता है मगर उसकी निगेहबानी करने वाली सत्ता विचारधारा के अनुरूप मिलती अथवा छिनती है । विचारधाराओं का संघर्ष निरंतर चलता रहता है और कभी कभी वह विचार भी प्रभावी हो उठता है जिसे इतिहास में कभी स्वीकारा नहीं गया हो । आज का दौर कुछ ऐसा ही है । इस दौर में बहुसंख्यक अनावश्यक रूप से उत्साही और वाचाल हो रहे हैं तो अल्पसंख्यकों के समक्ष बार बार अपनी सदायशता साबित करने की चुनौती दरपेश हो रही है।

जुम्मे की नमाज़ के बाद हुई खुराफातों से देश का अल्पसंख्यक वर्ग अपनी इस सदाशयता सिद्ध करने में यकीनन असफल रहा है। किसी से छिपा नहीं है कि आज की सत्ता पर बैठे लोग क्या सोच रखते हैं और इसी का परिणाम है कि अब शहर शहर बुल्डोजर सड़कों पर उतर आए हैं । इस माहौल में भला कौन गारंटी ले सकता है कि गेहूं के साथ घुन नहीं पिसेगा ? बेशक विरोध प्रदर्शन मुस्लिमों का लोकतांत्रिक अधिकार था और उससे किसी को एतराज भी नहीं है मगर पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी भला कौन बर्दाश्त करेगा ? ठीक है कि मुस्लिम अपने नबी से बहुत प्यार करते हैं और उनकी शान में कोई गुस्ताखी बर्दाश्त नहीं कर सकते मगर ऐसा करने वाले की जबान काटने, गला काटने अथवा हत्या करने की बात को कैसे जायज़ ठहराया जा सकता है ? यह भारत है , पाकिस्तान नहीं और यहां ईश निंदा जैसा कोई अमानवीय कानून भी नहीं है । तो फिर ..? वैसे क्या यह सही तरीका नहीं होता कि नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल जैसों को कानून को अपने हिसाब से निपटने दिया जाता और यदि उस पर भी विश्वास नहीं था तो कम से कम कुदरत के इंसाफ पर ही भरोसा कर लिया जाता ? 


वैसे एक सवाल यह भी है कि क्या सारी फटकार की हिस्सेदार नूपुर शर्मा ही है या उनका भी गिरेबान पकड़ा जाएगा जो सारा दिन टीवी चैनलों पर बैठ कर हिंदू मुस्लिम करते रहते हैं ? यदि सरकार की नीयत साफ है तो क्यों नहीं वह ऐसी बहसों पर रोक लगाती ?

चोर को मार रहे हो तो उसकी मां को भी तो पकड़ो , जो उससे जबरन यह कराती है ? चलिए इसे भी जाने दीजिए मगर यह तो पता चले कि हर आलतू फालतू बात पर ज्ञान बांटने वाले हमारे प्रधानमंत्री इस मुद्दे पर अभी तक क्यों खामोश हैं ? दुनिया भर में भारत के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और देश में दंगे फसाद की नौबत आ गई है फिर भी अभी तक उनकी बोलती क्यों बंद है ? आम काट कर खाते हैं अथवा चूस कर , जब यह बता सकते हैं तो इस संकट की घड़ी पर दो शब्द क्यों नहीं बोल सकते ? कुछ तो कहिए मोदी जी .. प्लीज़

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