व्यवसाय | कहानी लेखक, पटकथा लेखक |
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सक्रिय वर्ष | 1934-1955 |
कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। इनके कुछ कार्यों का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।
मंटो की प्रसिद्ध रचनाएँ
- टोबा टेकसिंह , लघुकथा
- Atishparay (Nuggets of Fire) – 1936
- Chugad
- मंटो के अफसाने – 1940
- धुआँ – 1941
- अफसाने और ड्रामे – 1943
- लज़्ज़त-ए-संग - -1948
- स्याह हाशिए -1948
- बादशाहत का खात्मा – 1950
- खाली बोतलें – 1950
- लाऊड स्पीकर (Sketches)
- गंजे फरिश्ते (Sketches)
- Manto ke Mazameen
- नमरूद की खुदाई – 1950
- ठंडा गोश्त – 1950
- याज़िद – 1951
- पर्दे के पीछे – 1953
- सड़क के किनारे – 1953
- बग़ैर उनवान के (बिना शीर्षक) – 1954
- बग़ैर इजाज़त – 1955
- बुर्क़े – 1955
- Phunduney (Tassles) – 1955
- सरकंडों के पीछे -1955
- शैतान – 1955
- शिकारी औरतें – 1955
- रत्ती, माशा, तोला" -1956
- काली सलवार – 1961
- मंटो की बेहतरीन कहानियाँ – 1963 [1]
- ताहिरा से ताहिर – 1971
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