पति नही चाहिए दोस्त चाहिए
सुबह उसके डर से उठ कर नही बनानी चाय
अलसा जाना है...
कहना है यार बना दो न आज तुम चाय
पति नही चाहिए जो क्या पहनूं, बाहर न जाउं, किसी से बात न करूं, बस उसके हिसाब से जीवन जियूँ,
दोस्त चाहिए , जो कहे कि ऐसे ही तो पसंद किया था इन्ही खूबियों( अब कमिया है)के साथ वैसे ही रहा करो!!
पति नही चाहिए, के खिड़की में आँखे गाड़कर मुझे किसी से बात करता देख शक की कोई पूरी कहानी बना ले
चमड़ी उधेड़ देने की बात करे...
"साली दुनियाँ भर के लोगो से बतियाती है"
के क्षोभ से मरता रहे,और अपना गुस्सा मुझपर निकाले,
दोस्त चाहिए जो
प्यार से पूछे और कहे यार तुम कितने जल्दी लोगों से जान पहचान कर लेती हो न
कितनी सोशल हो
बात करने का संकोच नहीं तुममें
मैं नही कर पाता हूँ सहज इतनी बातें
पति नही चाहिए
मेरे मासूम सपनों का सुन कर भी जिसकी नाराजगी की जमीन में कांटे उग आए
यात्राओं में कौन आवारा औरतें है जो अकेली जाती है
कमाएं हम और मौज के सपनें तुम देखो,
दोस्त चाहिए
खुद हो जो कहे
कभी दोस्तो के साथ पहाड़ की यात्रा पर जाना
रुकना किसी रात उनके घर
बारिशों में कभी चाय पार्टी करना
बहुत बहुत अच्छा फील करोगी
खूब ऊर्जा के साथ लौटोगी घर में
पति नही चाहिए
जिसकी कॉलर साफ करूँ
जिसके जूते जगह पर रखूं जिसकी गाड़ी की चाभी देना न भूलूँ
जिससे बात कहने और सुनने में भरी रहूं डर से
दोस्त चाहिए
जिसे गलबहियां डाल कहूँ
जरा मेरी तारीफ करना
कोई गीत गाना मेरे लिए
मेरे नखरे उठाओ
बस आज
मैं लो फ़ील कर रही
पति नही चाहिए
जो बारिश होते चीखने लगे
बाहर के कपड़े उठा लेती
सामान अंदर कर लेती
उधर खिड़की पर बैठी मूर्खो सी भींग रही हो, ग्वार औरत
दोस्त चाहिए
तेज बारिश में हाथ खींच कहे खिड़की पूरी खोल दो
आने दो तेज बौछार
भिंगो न यार साथ में
कपडे फिर सुखा लेंगे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें