मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

प्यार

 

प्रस्तुति - रेणु दत्ता / आशा सिन्हा 


एक नदी किनारे एक पेड़ था, और पास के गांव का एक बच्चा, अपनी स्कूल की छुट्टी के बाद..रोज उस पेड़ के पास आ कर बैठता था, कभी उस पर चढ़ता, कभी उसकी डाली पर झूलता, और कभी नदी से पानी ला कर उस पेड़ पर डाल भी देता था.. अपना काफी समय वो बच्चा उस पेड़ के साथ बीतता था, और पेड़ को भी उस बच्चे की आदत हो गई थी, अब पेड़ भी रोज उस बच्चे के आने का इंतजार करता और बच्चे के आने पर बहुत खुश हो जाता था..

धीरे धीरे वक्त बीतता रहा,और वो बच्चा भी बड़ा हो गया,

उसको एक लड़की से प्यार हो गया, और अब वो उस लड़की को भी पेड़ के पास लाने लगा, दोनो घंटो उस पेड़ की छांव में बैठे रहते, उसके आस पास खेलते, झूला झूलते, और पेड़ को भी बहुत अच्छा लगता था, वो भी दोनो के लिए अपने पत्ते बिछा देता था ताकि दोनो आराम कर सके, अपने Jjमीठे फल भी उनको देता ताकि उनकी भूख मिट जाए.. पर कुछ दिनो बाद दोनो ने वहा आना बंद कर दिया, पर पेड़ उनका इंतजार करता रहता..

कई दिनों बाद वो लड़का पेड़ के पास आया, वो बहुत उदास था, और वो पेड़ के नीचे आ कर बैठ गया,

पेड़ ने भी उसके लिए ठंडी हवा करना शुरू कर दिया..

फिर पेड़ ने कहा, उदास क्यों हो? मेरे साथ खेलो, मेरी डाल पर झूला झूलो.. 

तो लड़के ने गुस्से में कहा.. मै अब कोई छोटा बच्चा नहीं हूं, बहुत सारी समस्या है मेरी जिंदगी में, पर तुम क्या समझोगे..

तो पेड़ ने कहा, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं, मुझे अपनी समस्या बताओ, शायद में तुम्हारी कोई मदद कर दू..

तो लड़के ने कहा, मुझे पैसों की जरूरत है, अगर मुझे पैसे नही मिले तो वो लड़की मुझसे दूर हो जायेगी, और हम कभी एक नही हो पाएंगे.. बताओ अब इसमें तुम क्या कर पाओगे?

तो पेड़ ने कहा, चिंता मत करो, एक काम करो, मेरे सारे फल तोड़ लो, और इनको गांव के बाजार में ले जा कर बेच दो, तुमको बहुत पैसे मिल जायेंगे..

लड़का बहुत खुश हुआ, और उसने ऐसा ही किया और वहा से वापस चला गया.. और कई महीनो तक वापस लौट कर नहीं आया.. पर पेड़ उसका इंतजार करता रहा.

फिर एक दिन वापस वो लड़का उदास हो कर उस पेड़ के पास आया, पेड़ उसको देख कर बहुत खुश हुआ..

पेड़ ने कहा, केसे हो? मेरे पास आओ, उदास क्यों हो?

तो लड़का बोला, तुम्हारे फल बेच कर हमको पैसे मिले थे, जिससे हम दोनो ने शादी कर ली थी, और अब मुझे गांव में अपना घर बनाना है, मै बहुत परेशान हूं, अपना घर कैसे बनाऊं, कुछ समझ नही आ रहा..

पेड़ ने उसकी बात सुनी, कुछ देर सोचा और कहा..

तुम उदास मत हो, एक काम करो, तुम मेरी सारी डालियां काट लो और ले जाओ, इससे तुम अपना घर आसानी से बना पाओगे.. 

ये सुन कर लड़का बहुत खुश हो गया, वो जल्दी से कुल्हाड़ी लाया और उसने उस पेड़ की सारी डालियां काट दी और उनको ले कर अपने गांव चला गया.. और कई महीनो तक वापस नहीं आया..

कई महीनो बाद, वो लड़का रोते हुए उस पेड़ के पास आया, वो बहुत ही उदास लग रहा था, ये देख कर पेड़ भी बहुत उदास हो गया, और पेड़ ने पूछा, क्या हुआ है तुमको? तुम रो क्यों रहे हो? मुझे बताओ मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं.. शायद मैं कुछ मदद कर पाऊं..

तो लड़के ने रोते रोते कहा कि, उस लड़की ने मुझे छोड़ दिया है, उसको किसी और से प्यार हो गया है, और वो उसके साथ चली गई है, मेरी नौकरी भी छूट गई है, और अब मेरे पास पैसे भी नहीं हैं, अब मुझे यहां नही रहना है, मुझे शहर जाना है, पर कैसे जाऊ? मेरे पास किराए के पैसे तक नहीं है..

पेड़ ने उस लड़के की सारी बात सुनी, और बहुत देर सोचने के बाद उसको कहा, एक काम करो, तुम मेरा ये तना काट लो, इससे एक नाव बहुत आसानी से बन जायेगी, और नाव से तुम ये नदी पार करके आसानी से शहर पहुंच जाओगे..

लड़के ने भी ऐसा ही किया, उसने पेड़ का पूरा तना काट दिया, और सिर्फ पेड़ का कुछ हिस्सा छोड़ दिया.. फिर उसने एक नाव बनाई और वहा से चला गया..

उसको जाता देख, जो पेड़ का बचा हुआ आखरी हिस्सा था.. वो भी यही सोच रहा था की ये बिना किसी परेशानी के शहर तक पहुंच जाए तो अच्छा है।

पेड़ को ये भी पता था की अब ये लौट कर मेरे पास कभी वापस नहीं आएगा, क्योंकि ये मेरे पास सिर्फ लेने आता था और अब तो मेरे पास उसको देने के लिए कुछ भी नहीं है।

आज के वक्त में भी रिश्ते ऐसे ही हो गए हैं, सब एक दूसरे से सिर्फ लेने में लगे हुए हैं, पर पेड़ जैसा कोई नहीं बनना चाहता है, पर दूसरो से उम्मीद ये रखते हैं की वो पेड़ की तरह सिर्फ देता जाए..

सच तो यही है कि " किसी की खुशी के लिए, अपना सब कुछ लुटा देना ही, सच्चा प्यार है।"

पोस्ट पढ़ने का शुक्रिया..🙏🙏

और आपको ये कहानी कैसी लगी जरूर बताना..🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

साहित्य के माध्यम से कौशल विकास ( दक्षिण भारत के साहित्य के आलोक में )

 14 दिसंबर, 2024 केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के हैदराबाद केंद्र केंद्रीय हिंदी संस्थान हैदराबाद  साहित्य के माध्यम से मूलभूत कौशल विकास (दक...