मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023

अल्हड़ सयानी बेटी

 अल्हड़    सयानी   बेटी

              पापा की है  रानी   बेटी

अम्मा  की  बगिया  की जी

                 दुलारी     है    बेटियां


 चमकें   नभ   मंडल 

                  महके     हैं   गुलशन

  खुशबू  दिश   दिशाएं 

             फैलाती      हैं     बेटियां


भैया की  है  जो  बहना

               हैं  मान  जाती   कहना

 राखी  वो  कलाई  पर 

                  बांधती   हैं    बेटियां


डोली  पर  विदा  होए 

              फुट  फुट   अम्मा   रोए

चट्टान से पापा को भी

                रुलाती     है    बेटियां


डा बीना सिंह "रागी"

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