अल्हड़ सयानी बेटी
पापा की है रानी बेटी
अम्मा की बगिया की जी
दुलारी है बेटियां
चमकें नभ मंडल
महके हैं गुलशन
खुशबू दिश दिशाएं
फैलाती हैं बेटियां
भैया की है जो बहना
हैं मान जाती कहना
राखी वो कलाई पर
बांधती हैं बेटियां
डोली पर विदा होए
फुट फुट अम्मा रोए
चट्टान से पापा को भी
रुलाती है बेटियां
डा बीना सिंह "रागी"
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