बसौ मोरे नैनन में नंदलाल
नहिं ऐसो जनम बारंबार भज मन चरण-कंवल अबिनासी मेरे तो गिरिधर गोपाल या ब्रज में कछु देख्यो री टोना संकलन में- प्रेमगीत- हे री मैं तो |
पांच पद
एक बसौ मोरे नैनन में नंदलाल। मोहनि मूरति, सांवरी सूरति, नैना बने बिसाल। मोर मुकुट, मकराकृत कंुडल, अस्र्ण तिलक दिये भाल। अधर सुधारस मुरली राजति, उर बैजंती माल। छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल। मीरां प्रभु संतन सुखदाई, भगत बछल गोपाल। दो नहिं ऐसो जनम बारंबार। का जानू कछु पुण्य प्रगटे, मानुसा अवतार। बढ़त पल पल, घटत छिन छिन, जात न लागै बार। बिरछ के ज्यों पात टूटे, बहुरि न लागै डार। भौ सागर अति ज़ोर कहिए, अनंत ऊंडी धार। राम नाम का बांध बेड़ा, उतर परले पार। ज्ञान चौसर मंडी चोहटे, सरत पासा सार। या दुनिया में रची बाज़ी, जीत भावें हार। साधु, संत, महंत, ज्ञानी, चलत करत पुकार। दास मीरां लाल गिरिधर, जींवणा दिन च्यार। तीन मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरौ न कोई। जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई।। छांड़ि दई कुल की कानि कहा करै कोई। संतन ढिग बैठि बैठि लोक लाज खोई। अंसुवन जल सींचि सींचि प्रेम बेलि बोई। दधि मथि घृत काढ़ि लियौ डारि दई छोई। भगत देखि राजी भइ, जगत देखि रोई। दासी मीरा लाल गिरिधर तारो अब मोई। चार भज मन चरण-कंवल अबिनासी। जेताइ दीसै धरण-गगन बिच, तेताइ सब उठ जासी। इस देही का गरब न करणा, माटी में मिल जासी। यो संसार चहर की बाजी, सांझ पडयां, उठ जासी। कहा भयो तीरथ ब्रत कीने, कहां लिए करवत कासी? कहा भयो है भगवा पह्रयाँ, घर तज भये सन्यासी? जोगी होइ जुगत नहि जाणी, उलट जनम फिर आसी। अरज करौं अबला कर जोरे, स्याम तुम्हारी दासी। 'मीरां' के प्रभु गिरधर नागर, काटो जम की फाँसी। पाँच या ब्रज में कछु देख्यो री टोना। लै मटुकी सिर चली गुजरिया, आगे मिले बाबा नंदजी के छोना। दधि को नाम बिसरि गयो प्यारी, लैलेहु री कोई स्याम सलोना। वृंदावन की कुंज गलिन में, नेह लगाइ गयो मनमोहना। मीरा के प्रभु गिरिधर नागर, सुंदर स्याम सुघर रस लोना। |
देव औरंगाबाद बिहार 824202 साहित्य कला संस्कृति के रूप में विलक्ष्ण इलाका है. देव स्टेट के राजा जगन्नाथ प्रसाद सिंह किंकर अपने जमाने में मूक सिनेमा तक बनाए। ढेरों नाटकों का लेखन अभिनय औऱ मंचन तक किया. इनको बिहार में हिंदी सिनेमा के जनक की तरह देखा गया. कामता प्रसाद सिंह काम और इनकi पुत्र दिवंगत शंकर दयाल सिंह के रचनात्मक प्रतिभा की गूंज दुनिया भर में है। प्रदीप कुमार रौशन और बिनोद कुमार गौहर की भी इलाके में काफी धूम रही है.। देव धरती के इन कलम के राजकुमारों की याद में .समर्पित हैं ब्लॉग.
बुधवार, 4 नवंबर 2015
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