किसी व्यंजन अक्षर के नीचे लगाये जाने वाले बिंदु को नुक्ता कहते हैं। उर्दू, अरबी, फ़ारसी भाषा से हिन्दी भाषा में आए क ख ग ज फ वर्ण को अलग से बताने के लिए इनका प्रयोग किया जाता है क्योंकि इन भाषाओँ से लिए गए शब्दों को हिन्दी में उच्चारित सही से नहीं किया जा सकता था। नुक्ता के प्रयोग से उस वर्ण के उच्चारण पर अधिक दबाव आ जाता है।
जैसे: ‘खुदा’ का अर्थ है हिंदी में ‘खुदी हुई ज़मीन’ और नुक्ता लग जाने से ‘ख़ुदा’ का अर्थ ‘भगवान’ हो जाता है।
कुछ नुक्ता वाले शब्द
कमज़ोर, तूफ़ान, ज़रूर, इस्तीफ़ा, ज़ुल्म, फ़तवा, मज़दूर, ताज़ा, फ़कीर, फ़र्ज़, ज़ेवर, ज़ोर, फ़्रेंच, जि़ंदगी, इज़्ज़त, फ़रमान, रिलीज़, ब्लेज़र, ज़मानत, रफ़ू आदि।
क, ख, ग में नुक्ता का प्रयोग हिंदी भाषा में अनिवार्य नहीं है परन्तु ‘ज़’ और ‘फ़’ में नुक्ता लगाना आवश्यक है।
स्पर्श : में प्रयुक्त नुक्ता वाले शब्द
साफ़, दर्ज़ा, ज़रा, बाज़ार, तरफ़, ज़माना, ख़रबूज़े, ज़िन्दा, बरफ़, तेज़, बर्फ़, काफ़ी, सब्ज़ियों, मेहमाननवाज़ी, ज़िक्र, शराफ़त, गुज़र, उफ़, अफ़सर, दफ़्तर, ज़ोर, प्रोफ़ेसर, गुज़रने, परहेज़, चीज़ें, पुर्ज़े, फ़ायदा, मज़हबी, ऐतराज़, नमाज़, आज़ाद, रोज़े, गिरफ़्तार, रोज़, फौजी, ज़ुल्मों, हफ़्ते, ज़रूरत, सफ़ेद, ताज़े, हज़ारों
क्या आप जानते हैं कि हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या कितनी है?
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