एहसास ए दिल
होली के प्रसंग में. अनिल कुमार चंचल
मधुबन के वो रास रचैया
सुने मन मे तुम आना
बरबस छलके, पलकें बूँदों को
तुम ही अब तो समझाना.
फाल्गुन मास, बने हैं सावन
प्रेम तपन में जलते हैं
विरह वेदना अंतर्मन में
नागिन बन के हँसते हैं
समझ न पाऊँ व्यथित वेदना,
सुने मन मे तुम आना
मधुबन के वो रास रचैया
सुने मन मे तुम आना.
प्रेम समर्पण, लग्न प्रीत है
वन्दन प्यार की सच्चाई
जाना जो इस प्रीत की भाषा
जगत को भेद है बतलाई
प्रेम है वो अमृत धारा
राधा ने है समझाई
मधुबन के वो रास रचैया
सुने मन मे, तुम आना.
आज है होली, हमजोली संग
प्रणब गीत दोहराने की
ढोल मंजीरे थाप पे नाचे गाये
गाल पर रंग लगाने की
चंचल चितवन ढूंढे नैना
सुने मन मे तुम आना.
मधुबन के वो रास रचैया
सुने मन मे, तुम आना
सुने मन में तुम आना
अनिल चंचल
(मुझे खुशी होगी की हिन्दी के मेरे मित्र कवि,यदि कोई त्रुटि इस में हो तो अवश्य सुधार कर दे.)
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