रविवार, 5 मार्च 2023

मुझे पता ही नहीं चला*

 *प्रस्तुति - संत शरण / रीना शरण 


जो अपने परिवार के लिए 21 से 60 वर्ष कमाने में व्यस्त रहे, आज उनके लिए समर्पित एक छोटी सी रचना भेज रहा हु।*🙏🏻


*कैसे कटा 21 से 60 तक का यह सफ़र,* 

*पता ही नहीं चला ।*


*क्या पाया, क्या खोया, क्यों खोया,*

*पता ही नहीं चला !*


*बीता बचपन,* 

*गई जवानी* 

*कब आया बुढ़ापा,* 

*पता ही नहीं चला ।*


*कल बेटे थे,* 

*कब ससुर हो गये,* 

*पता ही नहीं चला !*


*कब पापा से नानु एवं दादु बन गये,* 

*पता ही नहीं चला ।* 


*कोई कहता सठिया गये,*

*कोई कहता छा गये,* 

*क्या सच है,* 

*पता ही नहीं चला !*


*पहले माँ बाप की चली,*

*फिर बीवी की चली,* 

*फिर चली बच्चों की,* 

*अपनी कब चली,* 

*पता ही नहीं चला !*


*बीवी कहती* 

*अब तो समझ जाओ,* 

*क्या समझूँ,* 

*क्या न समझूँ,* 

*पता ही नहीं चला !*

        

*दिल कहता जवान हूँ मैं,*

*उम्र कहती है नादान हूँ मैं,* 

*इस चक्कर में कब* 

*घुटनें घिस गये,* 

*पता ही नहीं चला !*


*झड़ गये बाल,* 

*लटक गये गाल,* 

*लग गया चश्मा,* 

*कब बदली यह सूरत* 

*पता ही नहीं चला !*


*समय बदला,* 

*मैं बदला* 

*बदल गई मित्र-मंडली भी* 

*कितने छूट गये,* 

*कितने रह गये मित्र,* 

*पता ही नही चला*


*कल तक अठखेलियाँ*

*करते थे मित्रों के साथ,* 

*कब सीनियर सिटिज़न* 

*की लाइन में आ गये,* 

*पता ही नहीं चला !*


*बहु, जमाईं, नाते, पोते,*

*खुशियाँ आई,* 

*कब मुस्कुराई उदास ज़िन्दगी,*

*पता ही नहीं चला ।*


*जी भर के जी लो प्यारे*

*फिर न कहना कि ..*


*"मुझे पता ही नहीं चला*


🌸🪷🌼🌹

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