विवाह..!
वन में विचरण करते हुए ,दो सुन्दर युवा राजकुमारों राम और लक्ष्मण को देखती है तो मोहित हो जाती है |मायावी होने के कारण सुन्दर स्त्री का रूप धारण कर एवं भाई रावण के बल अहंकार में ,उसे लगता है कि दोनों राजकुमारों में से कोई न कोई तो उससे विवाह कर लेगा !आश्वस्त हो वह उनकी कुटिया में पहुँच जाती है |राम और लक्ष्मण को अपने सम्मुख पाकर मंत्रमुग्द्ध हो राम से अपने सौन्दर्य का वर्णन कर विवाह प्रस्ताव देती है |
श्रीराम मंद-मंद मुस्कुराते हुए निश्क्षल भाव से कहते है :–देवी मेरा विवाह हो चुका है ,और माता सीता को बुलाते हैं |आवाज सुन कर वो बाहर आती हैं | एक दूसरे से परिचय उपरान्त ,माता सीता सुपर्न्खा को प्रणाम कर मुस्कुराती हैं |
यह दृश्य देख वह व्यथित हो उठती है और श्री राम से कहती है –यदि तुम विवाह नहीं कर सकते तो अपने भाई से कहो वह मुझसे विवाह कर ले !लक्ष्मण बिना देर किये बोल उठते हैं –नहीं देवी कदापि नहीं ,असंभव |सूपर्णखा क्रोधित हो चीख पड़ती है: –“मैं राक्षस कुल से हूँ ,मेर भ्राता प्रकाण्ड पंडित और महाबली लंकेश हैं ;तुम वनवासीयों का इतना दुस्साहस ,मेरे जैसे रूपवान और महाबलशाली रावण की बहन के विवाह प्रस्ताव को ठुकरा दो,मैं तुम लोगों का सर्वनाश कर दूंगी !जैसे ही अपने मायावी शक्तियों का प्रयोग करने को तत्पर होती है ,लक्ष्मण अपने धनुष–बाण से उसकी नाक काट देते हैं |
यह प्रतीकात्मक सन्देश है कि कोई स्त्री कितनी भी रूपवान और बलशाली क्यों न हो वह बिना पुरूष की स्वीकृति और बलपूर्वक उससे संबंध स्थापित नहीं कर सकती ;अन्यथा समाज के सम्मुख उसे अपनी नाक कटवानी पड़ेगी | रामकथा को अगर हम ध्यान से पढ़े तो महसूस होगा कि बड़ी–बड़ी बातें,छोटे–छोटे प्रतीकों के माध्यम से कहीं गई हैं |हम इसे प्रतीकों का शास्त्र कह सकते हैं |
अत: सौमित्र पुत्र लक्ष्मण ने स्पष्ट सन्देश दिया है समाज को , कि विवाह जैसे पवित्र संबध के लिए दोनों पक्षों की सहमती अनिवार्य है |
तो मैं कह रहा था सुन्दरी; इस प्रकार प्रतीकों के माध्यम से पुरे रामायण में जनमानस को सन्देश देने की कोशिश की गई है |
क्या सन्देश देने की कोशिश कर रहे हैं जीजा जी ?लॉबी में प्रवेश करते हुए आरती ने कहा |
अरे आरती ;आओ आओ बैठों संजय ने पीछे मुड़ते हुए बोला |
जीजा जी आप भी कहाँ राम कथा में उलझ गए |
नहीं आरती,मुझे तो बहुत अच्छा लगता है , ये प्रयास, राम कथा को एक नए अंदाज में विशेष वाचन और गीत-संगीत की शैली में|कम से कम उन पाखंडी बाबाओं से तो अच्छा है जो लाखों रूपए लेकर लोगों को बेवकूफ बनाते हैं और एक दिन जेल की सलाखों के पीछे होतें हैं |कुछ नहीं तो घर का नाम रामायण रखने वाले लोगों के बच्चों और उन जैसे तमाम लोगों को कुछ सार्थक जानकारीयां मिल जायेगी!
तुम भी न अपनी मां की तरह एक बार शुरू हो जाते हो तो चुप होने का नाम नहीं लेते,पत्नी सुन्दरी ने अपने चिर परचित अंदाज में उपस्थिति दर्ज कराई |
आरती हम लोगों से मिलने आई है ; तुम्हारी राम कथा सुनाने नहीं |अरे मॉर्डेन लड़की है ,देश की राजधानी में अकेले रह कर नौकरी करती है,रोज तुमसे ज्यादा राम और रावण देखती और समझती है..समझे !
नहीं दीदी ऐसी बात नहीं है, आरती माहौल में खुद को एडजेस्ट करते हुए बोली-आपने तो जीजा जी की क्लास ले ली ?छोडीए जीजा जी और बताइए क्या चल रहा है ?
यहाँ तो लखनऊ में आश्वासन चल रहा है ,दिल्ली का मालूम नहीं हंसते हुए संजय ने कहा |सभी एक साथ हँस दिए |
अच्छा छोड़ आरती ये बता कोई लड़का पसंद किया ?सुन्दरी ने उसकी कमर में हाथ डालकर अपनी ओर खीचते हुए कहा,उम्र निकलती जा रही है,ऐसे ही रहा तो बूढ़ी हो जायेगी ?
इतना सुनते ही आरती का चेहरा लाल हो गया,आँखे भर आई |
संजय ने बात बदलते हुए कहा :–तुम भी क्या बात करती हो अभी उम्र ही क्या है मेरे डियर साली की !खामखाह उसे शादी के चक्कर में फसा रही हो ,हमने कौन सा तीर मार लिया |अरे ऐस करने दो अभी |
आँसू पोछते हुए आरती ने चुपी तोड़ीं:-नहीं जीजा जी दीदी ठीक कह रही है,शादी तो हो जानी चाहिए !ज्यादा छोटी नहीं हूँ दीदी से ऐसे ही रहा तो दो चार साल में मैं भी मोनोपॉज की स्तिथि में आ जाउंगी ? पर शादी के लिए एक लड़के की जरूरत होती है ,वो लड़का कहाँ से लाऊ ? जो क़ानून के सामने या रीती रिवाज से जाति-धर्म के अनुसार मुझसे शादी कर ले !आरती ने थोड़ी गंभीरता से कहा |
सुन्दरी ने आँख नचाते हुए आरती को दुलराते हुए कहा-इतने बड़े देश में मेरी प्यारी बहना को एक लड़का नहीं मिल रहा है |
नहीं मिल रहा है दीदी,कुछ खीझते हुए बोली आरती :-अरे लड़के तो बहुत हैं पर शादी करने के लिए नहीं ;घुमाने –फिराने ,मौज-मस्ती और एक बार सेक्सुवल रिलेशन बनाने के लिए !शादी की बात सुनते ही बिदक जाते हैं जैसे कितनी बुरी बात कह दी मैंने,इतना ही नहीं जो जवाब मिलता है वो सुनो –“मम्मी-पापा से पुछूंगा ?क्योंकि मेरे घर का कल्चर ,संस्कार थोड़ा ,यू नो ,हम लोग मॉर्डन जरूर हैं पर फेमली वैल्यूज को इग्नोर तो नहीं कर सकते और फिर डूड तुम्हारी ऐज और मेरी ऐज में काफी गैप है ..यू नो,आई एम् सॉरी !तुम कहीं अपनी ऐज ग्रुप में ट्राई क्यों नहीं करती ;आई नो दिस इज द बेस्ट फॉर यू”|
आग लगे ऐसे लड़कों को सुन्दरी ने अपनी सभ्यता छोड़ते हुए कहा |इसी लिए कुत्तों की तरह घुमा करते लड़कियों के पीछे ,जिस हिसाब से लड़कियां कम हैं ,वो दिन दूर नहीं जब ये मुए लड़के आपस में ही शादी कर लेंगे ?
और सुनो दीदी जो मेरी उम्र वालें हैं उसमें तलाकसुदा मर्द ही ज्यादा मिलते हैं | वो करीब तो आना चाहते हैं ,सीधे शब्दों में कहूँ तो लिव इन रिलेसन के बहाने रखैल बना कर रखना चाहते हैं|
मैं जिस उम्र में हूँ दीदी कोई मर्द जिम्मेदारी नहीं उठाना चाहता ! हाँ जो मिलते हैं वो मेरी उम्र से कही अधिक उम्र के होते हैं ;उन्हें पत्नी नहीं एक सहयोगी की जरूरत होती है बीबी के रूप में !
लेकिन आरती ये हीरोइनें तो जब चाहती हैं जिस उम्र के लड़के से शादी कर लेती हैं उन्हें तो कोई कुछ नहीं कहता ?हाँ दीदी ,ये पैसे वाले अमीर लोग या बिना पैसे वाले गरीब लोग किसी से किसी उम्र में शादी कर लें या छोड़ दे कुछ भी करें कोई कुछ नहीं कहता क्यों कि इन्हें कुछ खोने का डर नहीं होता| मगर ये जो मध्यमवर्गीय नाम का जीव हैं उसने समाज के सारे संस्कार,सस्कृति,मान-मर्यादा, जाति-धर्म अपने सर पर उठा रख्खें हैं !
हाँ आरती तू ठीक कह रही है हम जैसे लोगों की वजह से ही सदीयों पुरानी अपनी धर्म और संस्कृति बची हुई है जिसकी दुहाई आज पूरा विश्व देता है | पापा ने किस तरह मेरी शादी की हम सब जानते हैं, वो तो कहो संजय अच्छे मिल गए तो कोई दर्द याद नहीं रहा वरना दहेज़ नाम का जो कैंसर है ये मध्यमवर्गीयों को ज्यादा होता है |तेरी शादी के लिए अंतिम सांस तक लड़का ढूढते रहे पर कहीं किसी को लड़की पसंद नहीं होती तो कहीं दहेज़ के लिए बात नहीं बनती!
इतना सुनते ही बिफर पड़ी आरती :- सच दीदी, संस्कारों की ऐसी घुट्टी बचपन से पिलाई जाती है हमको की ,किसी के साथ भागने की भी हिम्मत नहीं कर सकते!लोग क्या कहेंगे ?
यह यक्ष प्रश्न यही साथ नहीं छोड़ता ;उस समय भी मुँह बाए खड़ा रहता है जब उम्र निकाल जाती है, तो लोग पूछते हैं शादी क्यों नहीं करती ? खुद ही जवाब देते हैं; अरे आजकल की लड़कियों को शादी की जरूरत क्या है ? वैसे ही सब सुख मिल जाता है ; जिम्मेदारी ले कर कौन ढोए ! ये शब्द तीर की तरह सीने को छलनी कर देते हैं|
सुन्दरी आरती की बातें सुन आंसुओं को न रो सकी ,आरती को बांहों में लेते हुए बोली- मेरी बहन ,मत परेशान हो तू |माना कि समाज में बुरे लोगों की संख्या अधिक है पर ये नहीं की अच्छे लोग नहीं हैं |
बात अच्छे –बुरे की नहीं है सुन्दरी ,संजय ने बोलना शुरू किया :-बात है समय की; मतलब ये की अगर बच्चों की सही उम्र पे शादी करनी है तो हर मां-बाप को भी समय के साथ चलना होगा चाहें वो लड़की के माता-पिता हो या लड़के के ?
क्या कहना चाहते हो तुम, कौन से मां-बाप नहीं चाहते कि उनके बच्चों की शादी ठीक समय पर न हो ?सुन्दरी ने संजय से प्रश्न किया |
संजय ने आरती और सुन्दरी की तरफ मुखातिब होते हुए कहा;- देखो ये कटु सत्य है की शादी की सही उम्र इक्कीस से पच्चीस वर्ष के बीच होती है ,पर होता क्या है ,उच्य शिक्षा के चक्कर में उनकी उम्र सत्ताइस अठ्ठाईस तक पहुँच जाती है ,उसके बाद नम्बर आता है नौकरी का दो तीन साल इसमे लग जाते हैं |
अब शुरू होता है शादी के लिए लड़का या लड़की खोजने का चक्कर लड़का है तो ऐश्वर्या चाहिए अगर लड़की है तो सलमान खान ,दहेज़ का चक्कर ,नौकरी वाला ,बिना नौकरी वाला ,सास वाली या बिना सास वाली,इन सब के बाद अगर शादी पट गई तो ठीक या इन सब के दौरान लड़का लड़की ने एक दूसरे को पसंद कर लिया और घर वाले राजी तो फिर कोई बात नहीं ,हो गई शादी |वरना फ्रस्टेशन अपना काम शुरू कर देता है !सोने पे सुहागा अगर नौकरी भी न मिली हो तो फिर क्या कहने !
तो तुम ये कहना चाहते हो कि सारी गलती मां-बाप की और लड़की की है,वो पढ़ाई-लिखाई छोड़ कर,उसकी शादी करा दे ?सुन्दरी इस बार तेज आवाज में बोले जा रही थी |तुम मर्दों की यही सोच ,कारण है जो आजतक औरतें समानता की बात के लिए लड़ती आ रही हैं |
नहीं सुन्दरी मैं ये कहना चाहता हूँ कि पढ़ाई के साथ-साथ हमें सही समय पर शादी की बात को भी याद रखना चाहिए ,जैसे समय पे भूख लगने पर खाने की जरूरत है वैसे ही समय पर शादी भी !क्योकि इस समय हमारे शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंजेज न सिर्फ एक नई अनुभूति देते हैं बल्कि स्त्री-पुरूष को आकर्षित करते हैं ,क्योकि हम मनुष्य हैं और एक सभ्य समाज में रहते हैं इस लिए सामाजिक नियमों के अनुसार मां-बाप का ये फर्ज है की वो बच्चोंकी आवश्यकताओं को समझे उन्हें समय पर सेक्स एजुकेशन दें या स्कूलों में शिक्षित कराएं ?वरना समाज में घटने वाली तमाम मानसिक एवं अप्राकृतिक घटनाए इसका उदाहरण हैं! संजय ने अपनी बात पूरी की |
पर जीजा जी कैसे हो सकता हैं ये ?माना की एक हद तक आप सही कह रहे हैं ,वैज्ञानिकों ने भी इस बात की गंभीरता से पुष्टि की है कि अगर एक उम्र तक स्त्री स्वस्थ बच्चों को जन्म देने में सक्षम है उसके बाद उसके सेहत के लिए खतरनाक साबित सो सकता है ,जैसा की हम अक्सर पढ़ते और सुनते हैं | आरती की जिज्ञासा ने प्रश्न किया |
बिलकुल हो सकता है ,बस हमें अपनी सोच में बदलाव लाना होगा | हमारे पूर्वज इहीं सब गूढ़ बातों को ध्यान में रख कर बच्चों की शादी सही समय पर कर देते थे |
शादी तो कर देते थे जीजा जी पर स्त्रियाँ आज की तरह अंतरिक्ष में नहीं जाती थी |माना कि तुम सही हो पर पढ़ाई और नौकरी तो शादी के साथ भी जा सकती है अगर करना चाहे तो ? ये तो रही एक बात और दूसरी बात अगर बच्चे आपसी पसंद से विवाह कर रहे हैं तो उन्हें अच्छे बुरे की नसीहत के साथ परिवार का समर्थन मिलना चाहिए! कोई जरूरी नहीं है की हर पति-पत्नी नौकरी करें| बच्चों को अपनी लिखाई-पढ़ाई,नौकरी की तैयारी करने दें, लेकिन एक समय सीमा तय होनी चाहिए पढ़ाई और नौकरी के तैयारी के लिए !
और हाँ बच्चों को भी मां-बाप की बातों को समझना होगा,नहीं तो जो आजकल के बच्चों का ट्रेंड है वो तो तुम देख ही रही हो ? महानगरों में सुबह से निकल जाते हैं ऑफिस, दिन भर कॉफी और सिगरेट ,देर रात तक घर आना, एक बोतल बीयर और बर्गर-पिज्ज्जा जो मिला सो खाया और सो गए |इस आपा-धापी में कैरियर की उड़ान में कंपनियाँ उनका गोल्डन पीरियड पच्चीस से पैतीस की उम्र का सारा पैशन निचोड़ के रख लेती हैं | जब होश आता है तब तक उम्र जा चुकी होती है |फिर उनके हिस्से आता है समझौता सिर्फ समझौता ! फ्रस्टेशन जिससे से तुम गुजर रही हो ,यह आम बात आने वाले वक्त में भयानक बीमारी का रूप ले लेगी?ये मेरे नहीं डाक्टरों के बताये आकड़े और सर्वेक्षण हैं |
आरती के चहरे पर असंतुष्टि का प्रश्नवाचक चिन्ह दिखा ही था| तभी इंदिरा ने शाम की एम बी ए कोचिंग क्लास पूरी करने के बाद घर में प्रवेश किया|सामने आरती को देख चीखते हुए बोली –मौसी आप कब आई और उसके गले से झूल गई |
आरती ने भी उसका माथा चूमते हुए कहा बड़ी मेहनत कर रही मेरी बिटिया ?
क्या मौसी तुम न कह रही हों ,पर पापा तो चाहते हैं की मेरी शादी करके मुझे इस घर से भगा दें ,बिलकुल प्यार नहीं करते मुझे ?रुठते हुए इंदिरा णने शिकायत की |
इतना सुनते ही आरती एकदम चुप हो गई उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या जवाब दे !
@अजयश्री
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