बरसन लागे कारे बदरवा।
मोरे साजन घर नहीं आए।।
रात अंधेरी बिजुरी चमके
मोरा रह रह जीया घबराए
मोरे साजन घर नहीं आए।।
उन बिन रैना काटन लागे
मोहे कैसन नींदिया आए
मोरे साजन घर नहीं आए।।
जागत सारी रतिया बीती
मैं बैठी रही दीप जलाए
मोरे साजन घर नहीं आए।।
जा बदरा जा उनसे कहियो
अब और ना मोहे सताये
मोरे साजन घर नहीं आए।।
बरसन लागे कारे बदरवा
मोरे साजन घर नहीं आए।।
- सुरेन्द्र ग्रोस
मुंबई।।
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