🍃🍃🍃● चार दुर्लभ गुण
प्रस्तुति -- उपेंद्र पाण्डेय +रामेश्वर दयाल +रास बिहारी + अशोक सिंह +......
*1. धन के साथ पवित्रता,*
*2. दान के साथ विनय,*
*3. वीरता के साथ दया,*
*4. अधिकार के साथ सेवाभाव।*
एक पर्यटक, ऐसे शहर मे आया जो शहर उधारी में डूबा हुआ था !
पर्यटक ने *Rs.500* का नोट होटल रेस्टोरेंट के काउंटर पर रखे और कहा :- मैं जा रहा हूँ आपके होटेल के अंदर कमरा पसंद करने !
होटल का मालिक फ़ौरन भागा घी वाले के पास और उसको *Rs.500* देकर घी का हिसाब चुकता कर लिया !
घी वाला भागा दूध वाले के पास और जाकर *Rs.500* देकर दूध का हिसाब पूरा करा लिया !
दूध वाला भागा गाय वाले के पास और गायवाले को *Rs 500* देकर दूध का हिसाब पूरा करा दिया !
गाय वाला भागा चारे वाले के पास और चारे के खाते में *Rs.500* कटवा आया !
चारे वाला गया उसी होटल पर ! वो वहां कभी कभी उधार में रेस्टोरेंट मे खाना खाता था !
*Rs.500* देके हिसाब चुकता किया !
पर्यटक वापस आया और यह कहकर अपना *Rs.500* का नोट ले गया कि उसे कोई रूम पसंद नहीं आया !
न किसी ने कुछ लिया
न किसी ने कुछ दिया
सबका हिसाब चुकता हो गया ।
बताओ गड़बड़ कहाँ हुई ?
कहीं गड़बड़ नहीं है बल्कि यह सभी की गलतफहमी है कि रुपये हमारे हैं।
खाली हाथ आये थे, खाली हाथ ही जाना है।
विचार करें और जीवन का आनंद लें।
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 39)
इस श्लोक का अर्थ है: श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, फिर ज्ञान मिल जाने पर जल्द ही परम-शान्ति (भगवत्प्राप्तिरूप परम शान्ति) को प्राप्त होते हैं।
हमेशा खुश रहे मस्त रहे
हँसते रहिये , मुस्कुराते रहिये
🙏🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🙏
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