सोमवार, 27 सितंबर 2021

कंथा पर विचार विमर्श चर्चा गोष्ठी

 🍀  पक्की याद में ढलती एक शाम  🍀


🌺 लिखा हुआ छप जाए और उस पर विशेषज्ञ गण विमर्श के लिए भी जुट आएं, लेखन-सुख की यही तो पराकाष्ठा है! एक नाचीज़ लेखक के लिए इससे बड़ा कहां कोई अन्य सुख मुमकिन है ! 


🌹 बहरहाल, वाराणसी के लोहटिया स्थित रूपवाणी के स्टूडियो में रविवार (27 सितंबर 2021) की शाम तो जैसे औचक एक अनदेखा सपना सीधे साकार हो जाने जैसा ही अनसोचा अनमोल अनुभव दे गई ! 


🌺 "कंथा" (जयशंकर प्रसाद के जीवन-युग पर उपन्यास ; राजकमल प्रकाशन) पर परिचर्चा के लिए पहुंचे विमर्शकारों में अध्यक्षा डॉ. चंद्रकला त्रिपाठी से तो वर्षों पहले बनारस में ही एक आयोजन में साक्षात्कार हो चुका था लेकिन मुख्य वक्ता डॉ. अवधेश प्रधान से लेकर बीज वक्तव्यकार डॉ. कमलेश वर्मा तक, अपने ही नगर के ख़ुद के जैसे लोग भी ऐसे निकले, जिनसे पहली भेंट यहीं मुमकिन हो रही थी ! 


ऐसे तो हम सामाजिक ठहरे !.... तीव्रता से महसूस हुआ, हमें अपनी सक्रियताओं के शिल्प पर सोचना तो चाहिए ही.... 


🌹 "कंथा" ने इतना तो किया कि अग्रणी-अग्रजों का भी ध्यान  खींचा !


कुछ यों कि पहली देखा-देखी और कुछ दूरी से परिचय-अभिवादन पर अग्रज साहित्यकार डॉ. अवधेश प्रधान ने उठते हुए हांक लगाई, "....श्यामल जी, ऐसे काम नहीं चलेगा.... आइए, गले मिलना होगा..."


...और पास पहुंचते ही आगे, "...हमें लगा था "कंथा" का लेखक बुज़ुर्ग होगा... आप तो जवान..." इसके साथ ही उपन्यास पर कुछ अंतरंग अनमोल वाक्य !


🌺 "कंथा" पर विमर्श कैसा रहा या किसने कैसे-क्या कुछ कहा-सुना, यह सब कहने-सुनने या पूछने-बताने की अब जरूरत कहां रह गई !.... 


राजकमल प्रकाशन ने इस पूरे कार्यक्रम को  लाइव रूप दे डाला, लिहाज़ा सम्पूर्ण वीडियो सुलभ है... 


इसका लिंक यह : 


https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=4533284053396982&id=100001462977966


Vyomesh Shukla Krishna Mohan Ravindra Tripathy Rakesh Kumar Singh Rupa Singh Rajkamal Prakashan Samuh आमोद महेश्वरी आमोद महेश्वरी - Amod Maheshwari Satyanand Nirupam Anupam Parihar

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