मंगलवार, 21 सितंबर 2021

प्रेम

 ऎसा भी प्रेम  / Must read this moral story👇

       

एक फकीर बहुत दिनों तक बादशाह के साथ रहा बादशाह का बहुत प्रेम उस फकीर पर हो गया। 


प्रेम भी इतना कि बादशाह रात को भी उसे अपने कमरे में सुलाता। 


कोई भी काम होता, दोनों साथ-साथ ही करते।


एक दिन दोनों शिकार खेलने गए और रास्ता भटक गए। 


भूखे-प्यासे एक पेड़ के नीचे पहुंचे।


 पेड़ पर एक ही फल लगा था।


 बादशाह ने घोड़े पर चढ़कर फल को अपने हाथ से तोड़ा। 


बादशाह ने फल के छह टुकड़े किए और अपनी आदत के मुताबिक पहला टुकड़ा फकीर को दिया।


 फकीर ने टुकड़ा खाया और बोला, 'बहुत स्वादिष्ट ऎसा फल कभी नहीं खाया। 


एक टुकड़ा और दे दें।


 दूसरा टुकड़ा भी फकीर को मिल गया। 


फकीर ने एक टुकड़ा और बादशाह से मांग लिया। 


इसी तरह फकीर ने पांच टुकड़े मांग कर खा लिए।


 जब फकीर ने आखिरी टुकड़ा मांगा, तो बादशाह ने कहा, 'यह सीमा से बाहर है। 


आखिर मैं भी तो भूखा हूं।


 मेरा तुम पर प्रेम है, पर तुम मुझसे प्रेम नहीं करते।'.


और सम्राट ने फल का टुकड़ा मुंह में रख लिया। 


मुंह में रखते ही राजा ने उसे थूक दिया, क्योंकि वह कड़वा था।


राजा बोला, 'तुम पागल तो नहीं, इतना कड़वा फल कैसे खा गए?' 


उस फकीर का उत्तर था, 


'जिन हाथों से बहुत मीठे फल खाने को मिले, एक कड़वे फल की शिकायत कैसे करूं?


 सब टुकड़े इसलिए लेता गया ताकि आपको पता न चले।


 दोस्तों जँहा मित्रता हो वँहा संदेह न हो ।

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