मंगलवार, 14 सितंबर 2021

मुस्कुराती रहें हिंदी / अरविंद अकेला

 कविता  / 🙏🏼मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी ,फैले धरती आसमान

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आज दिवस है जन गण मन की हिन्दी का,

मिलकर बढ़ायें हम सब हिन्दी का मान,

मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी,फैले धरती आसमान 

बढ़े गरिमा हिन्दी की,मिले नयी पहचान

   मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।


सुर, तुलसी, कबीर, खुसरो की यह भाषा,

रहीम, रसखान, जायसी की यह आशा,

लाल, बाल, पाल ने डाली इसमें जान,

हिन्दी से हो पूरे जगत का कल्याण।

      मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी ...।


गाँधी,राजेन्द्र,पटेल,रेणु ने सींचा इसको,

विवेकानंद,अटल,रफी ने फुंके इसमें प्राण,

महादेवी,शिवपूजन,निराला ने दी आहुति,

दिनकर,पंत, नेपाली,लता ने बढ़ाई शान।

     मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।


अज्ञेय,दुष्यंत,वर्मा ने हिन्दी की दी ऊँचाई

नागार्जुन,शुक्ल ने हिन्दी में दिया योगदान,

भारतेंदु,इंशा,काम ने किया अपना जीवन कुर्बान,

आनंद,हसरत,समीर हिन्दी गीत से बने महान।

    मुस्कुराती रहे मेरी हिन्दी...।


प्रेमचंद, द्विवेदी, बेनीपुरी का इसमें आन,

नीरज, प्रदीप, गुलजार ने किया सम्मान,

मीरा,सरोजिनी ने की हिन्दी साहित्य की सेवा,

कवि"अकेला"को है हिन्दी पर स्वाभिमान।

     मुस्कुराती रहे मेरी...।

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           अरविन्द अकेला

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