बुधवार, 29 सितंबर 2021

बस_अपने_लिए / हेमंत बंसल

मम्मी ये क्या कह रही हो! इस उम्र में क्या ये सब अच्छा लगता है. कुछ हमारे बारे में भी सोचो! समाज क्या कहेगा? आपकी बहु के मायके वाले हम पर हँसेगे."

ऋषभ ने एक साथ बहुत से उलाहने माँ के ऊपर दाग दिए. 

राखी ने एक नज़र ऋषभ व उसकी पत्नी को देखा. मौन तोड़कर बेटी से बोली : "रितिका, तुम्हें मम्मी से कोई शिकायत नहीं है क्या?"

"मम्मी, भैया ने जो सब कहा वो मेरी ओर से भी है. आप खुद सोचिये मेरे ससुराल वाले क्या कहेंगे. आपके दामाद और मैं कहीं मुँह नहीं दिखा पाएंगे !" रितिका ने भी भाई वाली शिकायतों पर मुहर लगा दी. 


राखी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया - "मेरे बच्चों तुम बहुत छोटे थे, ज़ब तुम्हारे पिता चल बसे. तब कोई समाज नहीं आया मेरी मदद करने. स्वयं मैंने नौकरी की. तुम लोगों को पढ़ाया, शादियां की. पर मुझे जीवन में क्या मिला? "


राखी उठकर खिड़की के पास आ गयी. ढलती शाम की गहराई सी राखी की सोच उसके शब्दों में साकार होने लगी: " तुम दोनों अपने जीवन में आगे बढ़ गए. मैं आज रिटायर हो चुकी हूँ. सारा दिन अकेले कमरे में पड़ी रहती हूँ. रितिका, तुम कभी कभी फ़ोन करती हो. पर क्या कभी तुमने मेरे पास बिना मतलब के बैठ कर मेरा अकेलापन बाँटने की कोशिश की"


"मम्मी, अब मैं अपने बच्चों, पति को छोड़कर आपके पास कैसे आ जाऊं! मेरी अपनी जिम्मेदारियां हैं. "

राखी हँस पड़ी. 

"जिम्मेदारियां ! हाँ सही है. ज़ब तुम्हारा बेटा, बेटी हुए, तब तुम दो - दो महीने मेरे पास रहीं. दामाद जी आराम से अकेले रह लिए. पर अब एक दिन भी मम्मी के पास बैठने की फुरसत नहीं. "


ऋषभ :" मम्मी, मैं और गरिमा तो आपके साथ रहते हैं न. क्या कमी है आपको. नौकर भी है."

"बेटा, दो समय खाना मिल जाना ही इंसान की जरूरत नहीं होती. जीवन से ओर भी आकांक्षा होती है. तुम ओर बहु सुबह जाते हो, शाम को आते हो फिर तुम लोगों की अपनी पार्टियां, फ्रेंड सर्कल सब. बस रविवार को दो मिनट पूछ लेते हो - मम्मी कुछ चाहिए तो नहीं ! क्या मेरा जीवन नौकर से मिले खाने, कमरे में लगे टीवी, मोबाइल ओर रविवार को तुमसे मिले दो बोल तक सीमित है. "


राखी ने भर आयी आँखों के आंसू अंदर ही समेटते हुए आगे कहा : " मेरी उम्र 58 साल है. यानी तुम सब व समाज की नज़र में बूढ़ी औरत! जिसे बस भजन करना चाहिए, बच्चों, पोते-पोतीयों  में ख़ुशी ढूंढ़नी चाहिए. लेकिन मेरी आकांक्षा कुछ अलग है."


राखी कुछ रुकी फिर बोली:" मैंने यह घर बेच दिया है. इससे मिला सारा पैसा मैं रखूंगी. रितिका, सारे जेवर तुम्हारे.जो फ्लैट किराये पर दिया हुआ था, वो खाली करवा लिया है. ऋषभ वो तुम्हारा है. तुम जल्दी ही वहाँ शिफ्ट हो जाओ."

ऋषभ, रितिक अवाक से मम्मी को देख रहे थे. 


राखी ने अंतिम फैसला सुनाया : "कल मैं और  नवीन जी विवाह कर रहे हैं. उसके बाद हम दोनों विश्व भ्रमण पर जा रहे हैं. तुम लोग विवाह में आओगे तो अच्छा लगेगा. नहीं भी आओगे तो कोई बात नहीं. मुझे बचा हुआ जीवन अब अपने लिए जीना है. "

ये कहते हुए राखी अपने कमरे में चली गयी. कमरे में लाल साड़ी टंगी हुई थी. मेज पर पासपोर्ट रखा था. बस अपने लिए जीने के सुंदर सपने के साथ राखी बिस्तर पर लेट गयी.🙏🙏🌹🌹

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