सोमवार, 17 अक्टूबर 2022

गर्व है कि भारत में ही कथा का जन्म हुआ: संजयद्विवेदी

 

नयी दिल्ली,17 अक्टूबर (वार्ता)

 भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो (डॉ) संजय द्विवेदी ने सोमवार को कहा कि भारत विश्व का पहला देश है, जहां कथा का जन्म हुआ और यह गर्व का विषय है कि किस्सागोई की परंपरा भारत से ही पूरे विश्व में फैली है। 

श्री द्विवेदी ने गाजियाबाद में आयोजित मीडिया 360 लिटरेरी फाउंडेशन द्वारा आयोजित 'कथा संवाद' कार्यक्रम के दौरान कहा, “ हमारी वाचिक परंपरा ने ही वेद, पुराण, उपनिषद और अन्य ग्रंथों को संरक्षित करने का काम किया है। हमारी पौराणिक कथाएं लोकरंजन के अलावा हमें लोक संस्कृति एवं लोकाचार से जोड़ने का काम करती हैं। ” कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा, “ भारतीय संस्कृति में सामाजिक संवाद की अनेक धाराएं है। शास्त्रार्थ हमारे लोकजीवन का हिस्सा है। हमें उन पर ध्यान देने की जरूरत है। सुसंवाद से ही सुंदर समाज की रचना संभव है। ” उन्होंने कहा कि कोई भी समाज सिर्फ आधुनिकताबोध के साथ नहीं जीता, उसकी सांसें तो ‘लोक’ में ही होती हैं। भारतीय जीवन की मूल चेतना, लोकचेतना ही है और लोकचेतना वेदों से भी पुरानी है, क्योंकि हमारी परंपरा में ही ज्ञान बसा हुआ है। प्रो. द्विवेदी ने कहा कि ज्ञान, नीति-नियम, औषधियां, गीत, कथाएं, पहेलियां सब कुछ इसी ‘लोक’ का हिस्सा हैं। गाजियाबाद में आयोजित इस कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध शायरा एवं कथाकार रेणु हुसैन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुईं। कार्यक्रम के संयोजक सुभाष चंदर ने कहा कि नए रचनाकारों को ध्यान रखना चाहिए कि लेखन विन्यास की वह प्रक्रिया है, जिसमें एक सलाई लेखक के तो दूसरी पाठक के हाथ में होती है। बंधन ढ़ीला होते ही पाठक कट जाता है।

 इस अवसर पर डॉ. पूनम सिंह एवं तेजवीर सिंह को 'दीप स्मृति कथा सम्मान' एवं मनु लक्ष्मी मिश्रा को 'किआन कथा सम्मान' प्रदान किया गया। कार्यक्रम में प्रो. अशोक सिन्हा के उपन्यास 'एक रूह दो दिल' (अनुवाद), मधु अरोड़ा के कहानी संग्रह 'तमाशा' जवाहर चौधरी के काव्य संग्रह 'गांधी जी की लाठी में कोंपलें' एवं डॉ. कायनात काजी के यात्रा वृत्तांत 'देवगढ़ के गोंड' का भी विमोचन किया गया।

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