*सभी पति पत्नी को करवा चौथ पर्व की मंगल कामनाओं के साथ समार्पित यह शब्द पर्ण*
*इस पर्व पर पत्नि के मन के सुंदर भाव, पतियों को भी चाहिए कि वो इन अनमोल भावनाओ का सम्मान करे👇🏻👇🏻*
नहीं जानती हूँ कि...
*व्रत से आपकी आयु बढ़ेगी या नहीं* पर...
👉🏻 अच्छा लगता है आपके लम्बे साथ की दुआ करना
*चंद्रदेव की प्रतीक्षा व्याकुल करती है किन्तु*...
👉🏻 अच्छा लगता है आपके संग विशाल आकाश को ताकना
👉🏻 अच्छा लगता है चंद्रदेव के बाद अपने पति परमेश्वर को देखना
👉🏻 अच्छा लगता है छलनी के पीछे से आपका यूँ मुस्करा के मुझे छेड़ना
*नहीं जानती मेरे अर्पित जल अर्ध्य से चंद्रदेव को कोई सरोकार है या नहीं* पर
👉🏻 अच्छा लगता है आपके हाथ से दो घूँट पीना
👉🏻 अच्छा लगता है आपका खिलाया इक कौर
👉🏻 अच्छा लगता है मेरी भूख प्यास की आपको इतनी चिन्ता होना
*साज सिंगार के बिना भी पसन्द हूँ मैं आपको* पर
👉🏻 अच्छा लगता है आपके लिये सजना
👉🏻 अच्छा लगता है फिर से आपकी दुल्हन बनना
👉🏻 अच्छा लगता है आपका मुझे यूँ अपना चाँद कहना
*नही जानती कि व्रत से आपकी आयु बढ़ेगी या नहीं* पर
👉🏻 अच्छा लगता है तुम्हारे लम्बे *साथ* की ईश्वर से प्रार्थना करना
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*करवाचौथ*
*की सभी को*
*हार्दिक शुभकामनायें*
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*अंत में अपनों से अपनी बात*
बंधुओं एक महात्मा से भेंट होने पर उन्होंने मुझे बताया था कि सारी दुनिया में संस्कारों के पतन के कारण वहां की सामाजिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है ।
परिवार व्यवस्था लगभग समाप्त हो चुकी है ।
सब सिर्फ स्वयं के बारे में ही सोचने लगे हैं जिससे *बहुपत्नी एवं बहुपति* जैसी कुसंस्कृति पनपने लगी है ।
नैतिकता और संस्कार समाप्त प्राय हो चुके है ।
लेकिन भारत में आज भी नैतिकता और संस्कार जीवंत है तो उसका मूल कारण है *भारत वर्ष की मातृशक्ति* जो आज भी भारत के अनेकानेक पुरुषों के दुर्व्यसनों, दुराचारों, दुष्कर्मों, दुर्भावनाओं के बावजूद अपनी संस्कृति अपने संस्कारों का ध्वज थामे लगातार विश्व को एक नई राह दिखा रही है
इसलिए मातृशक्ति का सम्मान कीजिए क्योंकि हमारे पूर्वज हमारे ऋषि गण कह कर गए हैं कि
*यस्य नार्यस्तु पूजते*
*रमंते तत्र देवता*
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