मंगलवार, 18 अक्तूबर 2022

पाक का दिल्ली में पहला टेस्ट और वो नूरजहां का दोस्त

 विवेक शुक्ल 

सत्तर साल पहले 16-18 अक्तूबर, 1952 को दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में पाकिस्तान की क्रिकेट टीम अपना पहला टेस्ट मैच खेला था। राजधानी में जाड़ा दस्तक देने लगा था। देश और दिल्ली के क्रिकेट प्रेमियों में उस सीरिज को लेकर कमाल का उत्साह था। देश के बंटवारे की स्मृतियां तब तक ताजा थीं। पहले टेस्ट को देखने के लिए फिरोजशाह कोटला मैदान दर्शकों से खेल शुरू होने से पहले ही भर जाता था। तब तक दिल्ली आज की तरह नहीं थी। ईस्ट दिल्ली में शाहदरा और कुछ गांव थे। वेस्ट दिल्ली में करोल बाग के आगे कुछ गांव और खेत थे। नई दिल्ली/ साउथ दिल्ली में सफदरजंग एयरपोर्ट के आगे कुछ नहीं था। उधर नॉर्थ दिल्ली में सिविल लाइंस को पार करते ही गिनती की कुछ कॉलोनियां और गांव थे।


भारत की कप्तानी लाला अमरनाथ कर रहे थे और पाकिस्तान के कप्तान अब्दुल हाफिज कारदार थे। कारदार ने देश के विभाजन से पहले भारतीय टीम की भी नुमाइंदगी की थी। कारदार के साथी आमिर इलाही भी भारत की तरफ खेल चुके थे। वे बड़ौदा से थे। वे भी पाक टीम में थे। उसी पाकिस्तानी टीम में फजल महमूद भी थे। वे भारत से खेले तो नहीं थे पर उन्हें 1947-48 में आस्ट्रेलिया जाने वाली भारतीय टीम के लिए चुना गया था। वे भारतीय टीम के लिए पुणे में आयोजित कैंप में शामिल भी हुए थे। पर बंटवारा हो जाने के कारण उन्होंने पाकिस्तान का रुख कर लिया था। यानी दोनों टीमों के खिलाड़ी एक-दूसरे से परिचित थे।


 वो करता नूरजहां पर जान निसार


भारत में 1952 में आई पाकिस्तान की टीम के सलामी बल्लेबाज नजर मोहम्मद थे। वे सच में बहुत आशिक मिजाज इंसान थे। उनके और मशहूर गायिका मैडम नूरजहां के इश्क के किस्सों को भारत- पाकिस्तान में एक दौर में बहुत चटकारे लेकर लोग सुनते-सुनाते थे। उन्हें आप यूट्यूब पर देख सकते हैं। नजर मोहम्मद क्रिकेट के साथ-साथ मौसिकी के भी शौकीन थे। वे हैंडसम थे। नजर मोहम्मद और नूरजहां की लाहौर में एक बार मुलाकात हुई तो फिर वह रिश्ता बहुत आगे तक चला गया था।


 कहने वाले कहते हैं, नजर मोहम्मद भारत का दौरा खत्म करने के बाद पाकिस्तान लौटे तो एक दिन मैडम नूरजहां के घर उनसे मुलाकात करने के लिए उनके घर चले गए। अभी बातचीत का सिलसिला शुरू ही हुई था नूरजहां के पति शौकत रिजवी घर आ गए। नजर मोहम्मद को जब यह जानकारी मिली तो उन्होंने पहली मंजिल से छलांग लगा दी। नतीजा ये हुआ कि उनके हाथों-पैरों में चोटें आईं। फिर वे कभी क्रिकेट नहीं खेल सके। मतलब यह हुआ कि इश्क ने उनका करियर तबाह कर दिया। आगे चलकर उनके पुत्र मुदस्सर नजर पाकिस्तान से कई बरसों तक खेले। नजर मोहम्मद ने देश के विभाजन से पहले पटियाला में बहुत  क्रिकेट खेली थी।


किसके नाम रहा वो यादगार टेस्ट मैच


भारत-पाकिस्तान के बीच खेला गया पहला भारत के महान ऑलराउंडर वीनू मांकड़ के नाम रहा था। भारत ने पहले टास जीतकर 352 रन बनाए थे। भारत की तरफ से विजय हजारे ने 76 और हेमू अधिकारी ने 81 रनों की नाबाद पारी खेली थी। पाकिस्तान की तरफ से इलाही ने चार विकेट ली थीं। जवाब में पाकिस्तान की टीम पहली पारी में 150 रनों पर सिमट गई। उसे फोलो आन मिला। दूसरी पारी में वह 152 रन ही बना सकी। वीनू मांकड की लाजवाब गेंदबाजी के आगे पाकिस्तानी टीम के बल्लेबाज टिक नहीं सके। उन्होंने पहली पारी में 8 और दूसरी पारी में 5 विकेट लिए। 


भारत ने पहला टेस्ट मजे मजे में जीत लिया था। डॉ. रवि चतुर्वेदी बताते हैं कि दिल्ली को जहां इस बात की खुशी थी कि भारत ने पाकिस्तान को शिकस्त दी, वहीं इस बात का अफसोस भी था कि टेस्ट बहुत जल्दी खत्म हो गया। बहरहाल, पहला टेस्ट मैच बिना किसी अप्रिय घटना के समाप्त हो गया था। हालांकि आशंका थी कि मैच के दौरान पाकिस्तान टीम के खिलाफ नारेबाजी होगी।


भारत-पाकिस्तान की टीमें इंपीरियल होटल में ठहरी थी। इसी होटल में 1961 में सुभाष गुप्ते की एक शर्मनाक हरकत के बाद उन्हें बड़े बे- आबरू होकर भारतीय क्रिकेट टीम से निकाल दिया गया था। यह सच है कि उनकी स्पिन गेंदों को खेलना बच्चों का खेल नहीं था। वे 1950 और 1960 के दशकों में भारतीय टीम के मत्वपूर्ण सदस्य थे। पर उनकी ओछी हरकतों ने उनके क्रिकेट  करियर को तबाह कर दिया था।हुआ यह कि इंग्लैंड की टीम 1961 में भारत दौरे पर आई। वह दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में भारतीय टीम के खिलाफ टेस्ट मैच खेल रही थी। भारतीय टीम इंपीरियल होटल में ठहरी थी। उसी दौरान इंपीरियल होटल की एक महिला स्टाफर ने सुभाष गुप्ते की भारतीय टीम मैनेजमेंट से शिकायत कि वे (गुप्ते) उनके साथ शराब पीने के लिए कह रहे हैं। इस शिकायत के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने सुभाष गुप्ते को अगले टेस्ट की भारतीय टीम से बाहर कर दिया। उसके बाद उन्हें कभी भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिला। सुभाष गुप्ते बाद में त्रिनिदाद में बस गए। राजधानी के पुराने क्रिकेट प्रेमी उस शर्मनाक घटना को भूले नहीं है। गुप्ते का 31 मई 2002 को निधन हो गया था।


किसने बनवाया था इंपीरियल होटल


बात इंपीरियल होटल की चली है, तो बता दें कि यह राजधानी का पहला पांच सितारा होटल है। इसे सरदार नारायण सिंह ने बनवाया था। वे नई दिल्ली के बड़े ठेकेदार थे। अपने नाम के अनुरूप इंपीरियल होटल राजसी लगता है। इसका यूरोपियन स्टाइल का आर्किटेक्चर आंखों को सुकून देता है। नई दिल्ली के 1931 में उदघाटन वर्ष में ही यह भी शुरू हो गया था। एडविन लुटियन के सहयोगी एफ.बी.ब्लूमफील्ड थे इसके डिजाइनर। कहते हैं कि इसके निर्माण की रफ्तार पर वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन और लेडी विलिंग्डन नजर रख रहे थे। इसका निर्माण रंजीत सिंह के जिम्मे था, वे सरदार नारायण सिंह के पुत्र थे। एक पूरे इतिहास का गवाह का इंपीरियल होटल। इधर भारत के विभाजन से पहले महात्मा गांधी, पंडित नेहरु और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच कई बैठकों के दौर चले। महात्मा गांधी की जीवनी ‘दि लाइफ आफ महात्मा’ के लेखक लुईस फिशर 25 जून,1946 को दिल्ली आने पर  इंपीरियल होटल में ही ठहरे थे।


 विवेक शुक्ला, नवभारत टाइम्स. 18 अक्तूबर, 2022

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