सोमवार, 3 अक्टूबर 2022

कोई संबंध अवैध नहीं होता

 

दया शंकर पांडेय 


कोई संबंध अवैध नहीं होता। संबंध नैसर्गिक होते हैं , पवित्र होते हैं । और स्त्री तो हर महीने पवित्र होती रहती है । तो पवित्र-अपवित्र की बात भी बेमानी ही है । भोजपुरी में एक कहावत है , साईत से सुतार भला । मतलब यह कि मुहूर्त से ज़्यादा महत्वपूर्ण सुविधा होती है । यही स्थिति संबंधों में भी होती है । सुविधा और पसंद ही प्राथमिकता होती है सर्वदा ही । संकोच और मर्यादा की नाजुक दीवार के साथ । रही बात 497 की , एडल्ट्री की , तो वह कुरान की इस बात की प्रतिध्वनि भर थी कि औरतें तो पुरुषों की खेती हैं । सुप्रीम कोर्ट द्वारा 497 का खत्म करना , औरतों का पुरुषों की खेती से खत्म हो जाना है । सो मैं तो इस के खात्मे का भरपूर स्वागत करता हूं । फिर स्त्री-पुरुष के बीच ही नहीं , पति-पत्नी के बीच ही नहीं , हर किसी संबंध में विश्वास और प्यार एक महत्वपूर्ण तत्व होता है । पाप-पुण्य भी विश्वास से जुड़ा तत्व है । बहुत संभव है कि जो बात मेरे लिए पुण्य का सबब हो , आप के लिए वह पाप का निहितार्थ हो या आप का पुण्य किसी दूसरे के लिए पाप का सबब हो । गरज यह कि मुहूर्त से ज़्यादा महत्वपूर्ण सुविधा होती है । सुविधा , पसंद और लाभ का विषय ही सब को मुफ़ीद पड़ता है । यही सार्वभौमिक सच है । बाक़ी सब पाखंड है , मूर्खता है । रही बात परिवार की तो वह एडल्ट्री खत्म होने या रहने से नहीं टूटने , बनने या बचने वाले । संयुक्त परिवार टूट चुके हैं । लेकिन जब तक बच्चों की ज़रूरत और बच्चों से प्यार बना और बचा रहेगा , एकल परिवार बचे रहेंगे । इस लिए भी कि स्वार्थ और सुविधा ही किसी भी समाज की धुरी है । किसी स्त्री को बांध कर आप उस की रखवाली नहीं कर सकते , करनी भी नहीं चाहिए । एक भदेस कहावत भी है इस बाबत । उस की याद कीजिए । याद रखिए कि विश्वास और प्यार से बड़ी कोई चीज़ नहीं होती ।

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