शनिवार, 19 नवंबर 2022

लक्ष्य हासिल हो इतना तो आसां नहीं।/ अनंग

 *"जल रहा है कोई"*


बोझ   लादे   हुए   चल  रहा  है  कोई।

दूसरों   के   लिए  ढल  रहा  है  कोई।।


फूल  की  सेज  पर  जीना  आसान है।

धूल  में  घास   में  पल  रहा  है  कोई।।


भीड़  में  ज्ञान  अपना   बघारो   मगर।

ध्यान से देख  लो  टल  रहा  है  कोई।।


उड़  रहे  छोकरों  ये  भी  सोचो   जरा।

पालने   के   लिए  गल  रहा  है  कोई।।


लक्ष्य  हासिल हो इतना तो आसां नहीं।

गौर   से   देखिए  जल  रहा  है  कोई।।


बढ़ रहे  हो  अगर, है  दुआ  का असर।

देख  लो  फूल  बन  फल रहा है कोई।।


जब तलक थी जवानी न समझा कभी।

अपने हाथों को अब मल रहा  है कोई।।


आपसी  बात   लोगों   में   जाने  लगी।

जानिए  बन  सगा  छल  रहा  है कोई।।...*"अनंग"*

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