बुधवार, 2 नवंबर 2022

कमलेश सिंघल के कुछ लोकगीत

 राम और लछमन दोनों भैया दोनों ही बन को जायँ  

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

एक बन चाले, दो बन चाले, तीजे पै लगि आई प्यास 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

ना यहाँ कूआ, ना यहाँ जोहड़, ना यहाँ समंद तलाब 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

छोटा सा बच्चा जल भर लाया, पीओ सिरी भगवान 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

तेरे हाथ कौ बच्चा जल ना पीऊँ, पिता कौ नाम बताय 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

पिता अपने कौ नाम ना जानूँ, सीता मेरी माय  

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

ले चल रे बच्चा वाई रे कुटरिया में, जामें तेरी माय 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

उठ ले री माता सिर नै ढक ले, बाहर खड़े भगवान 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

ऐसे पति कौ बच्चा मुख ना देखूँ, नाय दिखाऊँ आप  

हे जी कोई राम मिले भगवान -2

फट गयी धरती समा गई सीता, खड़े लखावैं भगवान 

हे जी कोई राम मिले भगवान -2


कान्हा बरसाने में आ जइयो,

 बुला गई राधा प्यारी 

बुला गई राधा प्यारी, बुला गई राधा प्यारी


कान्हा बरसाने में आ जइयो, बुला गई राधा प्यारी


जब कान्हा तोहे भूख लगैगी -2

माखन मिसरी खा जइयो, 

बुला गई राधा प्यारी

कान्हा बरसाने में आ जइयो, बुला गई राधा प्यारी


जब कान्हा तोहे प्यास लगैगी -2

ठंडौ पानी पी जइयो, बुला गई राधा प्यारी



जब कान्हा तोहे ठण्ड लगैगी -2

काली कमलिया ले जइयो, 

बुला गई राधा प्यारी



जब कान्हा तोहे गरमी लगैगी -2

मोर कौ पंखा ले जइयो, 

बुला गई राधा प्यारी


कान्हा बरसाने में आ जइयो, बुला गई राधा प्यारी


जब कान्हा तोहे नींद लगैगी -2

झालर तकिया ले जइयो, बुला गई राधा प्यारी

कान्हा बरसाने में आ जइयो, बुला गई राधा प्यारी



नैनन में स्याम समायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ -2

लुट जाउंगी स्याम तेरी मुसकन पै 

मिट जाउंगी स्याम तेरी मटकन पै 

मोहे गैर-गिरार गिरायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ

नैनन में स्याम समायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ

मर जाउंगी स्याम तेरे नैनन पै 

मिट जाउंगी स्याम तेरे नैनन पै 

मोतै तिरछी नजर चुरायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ

नैनन में स्याम समायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ

मर जाउंगी स्याम तेरे अधरन पै 

मिट जाउंगी स्याम तेरे अधरन पै 

मोहे मुरली मधुर सुनायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ

नैनन में स्याम समायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ

मर जाउंगी स्याम तेरी पलकन पै 

मिट जाउंगी स्याम तेरी पलकन पै 

मोहे टेढ़ी चाल चलायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ 

नैनन में स्याम समायगौ, मोहे प्रेम को रोग लगायगौ



मनिहारे का भेस बनाया, स्याम चूड़ी बेचने आया -2

झोली कंधे धरी उसमें चूड़ी भरी -2

गलियों में शोर मचाया, स्याम चूड़ी बेचने आया 

छलिया का भेस बनाया, स्याम चूड़ी बेचने आया 

राधा ने सुनी ललिता से कही -2

मोहन को तुरत बुलाया, स्याम चूड़ी बेचने आया 

मनिहारे का भेस बनाया, स्याम चूड़ी बेचने आया -2

चूड़ी लाल नहीं पहरूँ, चूड़ी हरी नहीं पहरूँ

मुझे स्याम रंग है भाया, स्याम चूड़ी बेचने आया 

राधा पहरन लगी, स्याम पहराने लगे -2

राधा ने हाथ बढाया, स्याम चूड़ी बेचने आया 

राधा कहने लगी तुम हो छलिया बड़े 

धीरे से हाथ दबाया, स्याम चूड़ी बेचने आया 

मनिहारे का भेस बनाया, स्याम चूड़ी बेचने आया -2

छलिया का भेस बनाया, स्याम चूड़ी बेचने आया -2



दधि-माखन कौ चोर पकड़ लियौ राधे नै -2

चोरी करने गए बरसाने -2

वहाँ पै हो गयी भोर, पकड़ लियौ राधे नै

दधि-माखन कौ चोर पकड़ लियौ राधे नै

चोर-चोर सब कोई चिल्लावैं -2

ये तो निकरौ नन्दकिसोर, पकड़ लियौ राधे नै

दधि-माखन कौ चोर पकड़ लियौ राधे नै

कोई सखी मारै कोई धमकावै -2

दियौ राधे ने झकझोर, पकड़ लियौ राधे नै 

दधि-माखन कौ चोर पकड़ लियौ राधे नै

अबकी बार बचा लै राधे -2

फिर ना आउँ तेरी ओर, पकड़ लियौ राधे नै

दधि-माखन कौ चोर पकड़ लियौ राधे नै



उठो-उठो दयानंद बीर भतेरे दिन सो लिए मेरे राम -2

दयानंद उठे ढड़ती सी रात, बनखंड की राही हो लिए मेरे राम

बनखंड के मा धौड़ी-धौड़ी गाय, आँसू तो गेरै मोरनी मेरे राम

तू क्यों रोवै धौड़ी-धौड़ी गाय, सेवा तो तेरी मैं करूं मेरे राम -2

सोने की तेरी सिंघनी घड़ाय, चाँदी की तेरी बिजनखुरी मेरे राम

रहने को तोकू गउशाला बनवाय, खाने को तोकू दाल चने की हो राम

जीवै-जीवै दयानंद तेरे पूत, सेवा तो तैने बहुत करी मेरे राम -2

उठ-उठ दयानंद बीर भतेरे दिन सो लिए मेरे राम




मेरा नौ डांडी का बीजणा, हे मेरा नौ डांडी का बीजणा 

मेरे सुसरे ने दिया घड़वाय, झणाझण बाजै बीजणा 

मेरी सास कहे बहू पीस ले, मेरे राजा जी हिला गए हाथ,

छाले पड़ जा हाथ में, मेरा नौ डांडी का बीजणा

मेरे जेठ ने दिया घड़वाय, झणाझण बाजै बीजणा 

मेरी जेठाणी कहे बेबे छान ले, मेरे राजा जी हिला गए हाथ,

धौली हो जा चून में, मेरा नौ डांडी का बीजणा 

मेरे देवर ने दिया घड़वाय, झणाझण बाजै बीजणा

मेरी दौरानी कहे जीजी गूंध ले, मेरे राजा जी हिला गए हाथ,

उँगली मुड़ जा चून में, मेरा नौ डांडी का बीजणा

मेरे नणदोई ने दिया घड़वाय,झणाझण बाजै बीजणा

मेरी नणद कहे भाभी पोय ले, मेरे राजा जी हिला गए हाथ,

उँगली जल जा आग में

मेरा नौ डांडी का बीजणा, हे मेरा नौ डांडी का बीजणा 




मेरे सिर पै बंटा-टोकनी, मेरे हाथ में नेजू-डोल, मैं पतली सी कामनी

एक राह मुसाफिर दूर के, छोरी एक घूँट नीर पिलाय, हम परदेसी दूर के,

छोरे ना मेरी डूबै बालटी,छोरे ना मेरा नवै सरीर, मैं पतली सी कामनी

मेरे सिर पै बंटा-टोकनी, मेरे हाथ में नेजू-डोल, मैं पतली सी कामनी

छोरे किसके हो तुम पावने, छोरे किसके हो लणिहार, मैं पतली सी कामनी

मेरे सिर पै बंटा-टोकनी, मेरे हाथ में नेजू-डोल, मैं पतली सी कामनी

छोरी बाप तेरे के पावने, छोरी तेरे सै लणिहार, हम परदेसी दूर के

छोरे इब मेरी डूबे बालटी, छोरे इब मेरा नवै सरीर, मैं पतली सी कामनी

मेरे सिर पै बंटा-टोकनी, मेरे हाथ में नेजू-डोल, मैं पतली सी कामनी




पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

हाय, पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

बिंदी बनवा दे चाहे टीका बनवा दे

अब चाहे सोने में लदवा दे, राजा अब नहीं बचने की 

पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

चूड़ी बनवा दे चाहे कंगन बनवा दे

अब चाहे सोने में लदवा दे, राजा अब नहीं बचने की 

पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

बाली बनवा दे चाहे झुमके बनवा दे

अब चाहे सोने में लदवा दे, राजा अब नहीं बचने की 

पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

कालर बनवा दे चाहे पैंडल बनवा दे

अब चाहे सोने में लदवा दे, राजा अब नहीं बचने की 

पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

तगड़ी घड़वा दे चाहे गुच्छा घड़वा दे

अब चाहे सोने में लदवा दे, राजा अब नहीं बचने की 

पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की 

चुटकी घड़वा दे चाहे पायल घड़वा दे

अब चाहे सोने में लदवा दे, राजा अब नहीं बचने की 

पानी में लहरें ले रही राजा बेल सिंघाड़े की



जमना किनारे मेरौ गाँव साँवरे आ जइयो 

जमना किनारे मेरी ऊँची हवेली 

मैं बृज की गोपिका नवेली 

राधा-रंगीली मेरौ नाम कि बंसी बजाय जइयो  

जमना किनारे मेरौ गाँव साँवरे आ जइयो 

मल-मल के इसनान कराऊँ

घिस-घिस चन्दन तिलक लगाऊ 

पूजा करुँगी सुबह-शाम कि माखन खाय जइयो 

जमना किनारे मेरौ गाँव साँवरे आ जइयो 

खसखस को बंगला बनवाऊँ 

चुन-चुन कलियाँ सेज बिछाऊँ 

धीरे-धीरे दबाऊँ पाँव कि प्रेम रस पाय जइयो 

जमना किनारे मेरौ गाँव साँवरे आ जइयो 

देखत रहूँगी बाट तुम्हारी जल्दी अइयो किशन-मुरारी 

झांकी करेंगे बृज धाम कि हँस मुस्काय जइयो 

जमना किनारे मेरौ गाँव साँवरे आ जइयो 

तुमसे फस रहयौ प्रेम हमारौ 

खिच्चु कह रहयौ आटे वारौ 

अटक रहयौ मेरो काम नैक करवाय जइयो 

जमना किनारे मेरौ गाँव साँवरे आ जइयो












कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

किशोर कुमार कौशल की 10 कविताएं

1. जाने किस धुन में जीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।  कैसे-कैसे विष पीते हैं दफ़्तर आते-जाते लोग।।  वेतन के दिन भर जाते हैं इनके बटुए जेब मगर। ...